तोर पांव के घुंघरू //कुंजलाल साहू //पचरा,पारंपरिक ,जस गीत

जय माता दी 👣// तोर पांव के घुंघरू //👣जय माता दी 

तोर पाँव के घुँघरू

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गीत - तोर पाँव के घुँघरू

गायक-कुंजलाल साहू 

यूट्यूब- कुमार जितेंद्र

शैली - पचरा,पारंपरिक  

वेबसाइट-www.cgjaslyrics.com 

वेबसाइट ऑनर -के के पंचारे  

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मुखड़ा 

 तोर पाँव के घुंघरू रुनझुन बाजे हां 

 तोर पाँव के घुंघरू रुनझुन बाजे हां 

उड़ान -यहो रुनझुन रुनझुन हां

 तोर पाँव के घुंघरू रुनझुन बाजे हां 

 तोर पाँव के घुंघरू रुनझुन बाजे हां 

अंतरा -1 

जब कहवा ले आवय काश पीतल अउ 

कहवा ले आवय मजीरा -2 

ड़ान -जब कहवा ले आवय बाजा करताले

रुनझुन रुनझुन हां   

तोर पाँव के घुंघरू रुनझुन बाजे हां 

तोर पाँव के घुंघरू रुनझुन बाजे हां 

अंतरा -2 

जब कहसिन घर ले काश पीतल अउ 

लोहार घर ले मजीरा -2 

उड़ान -जब बढ़ई घर ले बाजा करताले

रुनझुन रुनझुन हां   

तोर पाँव के घुंघरू रुनझुन बाजे हां 

तोर पाँव के घुंघरू रुनझुन बाजे हां 

अंतरा -3 

जब कौन बनाये काश पीतल अउ 

कोन बनाये मजीरा -2 

उड़ान -जब कौन बनाये बाजा करताले

रुनझुन रुनझुन हां   

तोर पाँव के घुंघरू रुनझुन बाजे हां 

तोर पाँव के घुंघरू रुनझुन बाजे हां 

अंतरा -4 

जब कसेर बनाये काश पीतल अउ 

लोहार बनाये मजीरा -2 

उड़ान -जब बढ़ई बनाये बाजा करताले

रुनझुन रुनझुन हां   

तोर पाँव के घुंघरू रुनझुन बाजे हां 

तोर पाँव के घुंघरू रुनझुन बाजे हां 

अंतरा -6   

जब कोन बजाये काश पीतल अउ 

कोन बजाये मजीरा -2 

उड़ान -जब कोन बजाये बाजा करताले

रुनझुन रुनझुन हां   

तोर पाँव के घुंघरू रुनझुन बाजे हां 

तोर पाँव के घुंघरू रुनझुन बाजे हां 

अंतरा -7   

जब राम बजाये काश पीतल अउ 

लखन बजाये मजीरा -2 

उड़ान -जब नारद बजाये बाजा करताले

रुनझुन रुनझुन हां   

तोर पाँव के घुंघरू रुनझुन बाजे हां 

तोर पाँव के घुंघरू रुनझुन बाजे हां 

तोर पाँव के घुंघरू रुनझुन बाजे हां 



🎼 गीत के बोल का अर्थ (छत्तीसगढ़ी में)

ये गीत मं माता के भक्ति के गहरा भाव झलकथे। "तोर पाँव के घुंघरू रुनझुन बाजे" के मतलब ये कि जब माता धरती मं पधारथें, त उनके पाँव मं बंधे घुंघरू के मधुर आवाज़ चारों ओर गूंजथे।

गीत मं काश पीतल, मजीरा, बाजा जइसे पारंपरिक वाद्य यंत्र के जिक्र होथे, जेन ह छत्तीसगढ़ी संस्कृति के पहचान हवंय।

हर अंतरा मं पूछे जावत हे – ये बाजा कहां ले आय गे, कोन बनायिस, अउ कोन बजायिस। ये मं लोक संस्कृति, गांव के कारीगर, अउ संगीत परंपरा के गौरव छुपा हे।

ये गीत सिरिफ माता के स्तुति नई, बल्कि छत्तीसगढ़ के लोक जीवन के भी जीवंत चित्र हे।

धार्मिक महत्व

भक्ति अउ श्रद्धा के प्रतीक – घुंघरू के रुनझुन आवाज देवी-देवता के आराधना मं आस्था अउ प्रेम ला जगाथे।

पूजा-पाठ अउ जसगान – ए गीत ह जस पर्व, माता जस अउ देवी भक्ति मं गाये जाथे, जेकर सेती वातावरण पवित्र हो जाथे।

देवी आराधना के माध्यम – घुंघरू के झंकार ह देवी मं हाजिरी देय बर माने जाथे।

🌿 सांस्कृतिक महत्व

छत्तीसगढ़ी परंपरा – ए गीत ह छत्तीसगढ़ी समाज के पारंपरिक जस गीत ला जीवित रखथे।

कारीगर के योगदान – गीत मं कसेर, लोहार, बढ़ई जइसने कारीगर मन के काम ला मान-सम्मान मिलथे।

लोकसंस्कृति के पहचान – बाजा, मजीरा, घुंघरू जइसने वाद्ययंत्र छत्तीसगढ़ी लोकगीत के आत्मा हें।

🎤 गायक परिचय (छत्तीसगढ़ी में)

गायक: श्रीमान कुंजलाल साहू

ये मन छत्तीसगढ़ी जस गीत गायन मं अपनी अलग पहचान बनाय हवें। अपन मीठा आवाज अउ भक्ति भाव से भरे प्रस्तुति से ये मन गांव-गांव, शहर-शहर मं लोकप्रिय हो चुके हवंय। इनकर गीत गान मं छत्तीसगढ़ के लोक बोल, देवी भक्ति अउ परंपरा के गाढ़ मेल दिखथे 

मातारानी के जस गीत लिंक नीचे दे हावे जाके click  करव

1. धरम के बात-पचरा जस 

2. सांझा बिहनिया-आरती 

3. लहराए जवारा -विसर्जन जस

4. पैजनिया बाजे 

5. सेवा में बाग लगाएं 

6. दाई तोर अंचरा मा

7. जगमग जोत जले

8.करलव सेवा गा 

9. पहुना बनके न 

10. बम हे बमलाई के दुआर 




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