स्वर्गीय चंदू बघधर्रा छत्तीसगढ़ के नामी जसगीतकार रहिन। एकर रचना मन म गांव के आस्था, देवी भक्ति, अउ
संस्कृति के गजब के झलक रहिथे।
शीतला दाई ऊपर लिखे गीत "तोर जुड़वास परब हे पावन" मा उहाँ के भक्ति अउ भावना साफ झलकथे।
चंदू बघधर्रा अपन लेखनी ले छत्तीसगढ़ के लोक साहित्य ला समृद्ध करे हवंय।
गीत के अर्थ (छत्तीसगढ़ी भाषा में)
ए गीत छत्तीसगढ़ के पारंपरिक जुड़वास परब ला समर्पित आय, जऊन शीतला मइया के उपवास, पूजा-पाठ अउ लोक आस्था ले जुड़े हवय। ए परब म गांव के मनखे मन मइया ला बड़ भक्ति भाव ले पूजथें।
गीत म बारीस के सुरुआत, बिजुरी के चमक, नचइया मन के छम-छम नाच, हरियर हरियाली अउ मंदिर म चढ़ावा चढ़ाय के संस्कृति ला बड़े सुंदर ढंग ले देखाय गे हवय।
बिजली नैन चमकाना – शीतला मइया के तेज अउ शक्ति के चीन्हा आय।
नचकारिन छम-छम नाचना – गांव के महतारी-बहिनी मन के भक्ति अउ श्रद्धा के भाव ला दर्शाथे।
अंचरा के छईया – मइया के शीतल छांव, जिहां दुख-तकलीफ मिटथे।
लईका-सियान सकलाना – परब म घर-परिवार के संग एकठा होके भक्ति करना।
चना दार, हरदी, कईचा पान – चढ़ावा म अर्पित होवत मइया के परती श्रद्धा के प्रतीक आय।
दयावंतीन तोरे फूले फरे जग वासी – मइया के किरपा ले संसार के सब जीव-जन के भला होथे।
ए गीत मा शीतला मइया के करुणा, लोक संस्कृति अउ आस्था के भाव बड़े गजब ले समाय गे हवय।
📖 गीत पर आधारित कहानी (छत्तीसगढ़ी में)
छत्तीसगढ़ के अंचल म एक सुघ्घर गांव रहिस – लिमहिनपारा। ए गांव के मनखे हर साल आषाढ़ मास के जुड़वास परब म मां शीतला ला मनाथें। गांव के मंदिर म नीम के झाड़ के छइंहा म मइया के सुंदर मूर्ति रहिस।
जुड़वास के दिन गांव म खूब चहल-पहल रहिस। मेहरारू मन बिहान बिहनिया उठके शीतला दाई के पूजा बर चना दार, हरदी, कईचा पान, फूल, दूबी, नाइका अउ लिम के डारा पाना ल चढ़ाथें।
बच्चा मन ठउर-ठउर नाचत, गावत, गीत गावत – "तोर जुड़वास परब हे पावन" के सुर म मगन रहिथें।
बूढ़ा-बुजुर्ग कहिथें के जे दिन आषाढ़ मास के जुड़वास के पूजा म मइया ला सच्चा मन ले बिसाथे, ओकर दुख-दर्
, रोग-बीमारी मइया हर हर लेथें।
गांव म एगो नंदू कका रहिस, ओकर घर म बरसों से संतान नइ रहिस। हर साल जुड़वास म उंकर घर म गीत गाथे