सेवा में बाग़ लगाये | CG Jas Geet Lyrics | पंडित युवराज पांडेय
गीत -सेवा में बाग़ लगाये
गायक -पंडित युवराज पांडेय
म्यूजिक कंपनी - बोल कालिया
Website -www.cgjaslyrics.com
Website owner - के के पंचारे
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मुखड़ा
सेवा में बाग़ लगाये लगाये हो मईया
सेवा में बाग़ लगाये लगाये हो माँ
सेवा में बाग़ लगाये लगाये हो मईया
सेवा में बाग़ लगाये लगाये हो माँ
उड़ान - येहो भवानी सेवा में बाग़ लगाये हो माँ
येहो मईया सेवा में बाग़ लगाये हो माँ
सेवा में बाग़ लगाये लगाये हो मईया
सेवा में बाग़ लगाये लगाये हो माँ
अंतरा -1
हस के उठे वि हस के माता
जा चंदन पर थार भवानी
नींबू जटा,जटा पर नरियर
आस पास नरियर के बारी
केकती केवरा सदा सरवर
सरवर देखत हंस विराजे
हंस म दाई के पहना साजे
पहुना ऊपर दाई विराजे
दाई के संग भैरव साजे
भैरव संग लँगूरे विराजे ए-2
उड़ान -अन्ननस मन्ननस कुंज निवारे
धर्म ध्वजा लहराये,लहराये हो मईया
सेवा में बाग लगाये हो माँ
सेवा में बाग़ लगाये,लगाये हो मईया
सेवा में बाग़ लगाये हो माँ
अंतरा -2
जब इंद्र लोक ले उतरे लंगुरवा
नैंना घोड़ा भय सांवरिया
माथ चंदन तोर पाँव खड़उवा
गंगा जमुना खड़ा पखारे सवा हाथ धरती पर फाटे
उठे गुलेलवा हाथ कमलिया
रह ही ठाड़े कुंज निवाई
साडी बंदन पर भय महामाई-2
उड़ान - पान खात मुख लाल भवानी
जिभिया हां तोरे ललियाये
ललियाये हो मईया
सेवा में बाग़ लगाये,हो माँ
सेवा में बाग़ लगाये लगाये हो मईया
सेवा में बाग़ लगाये हो माँ
अंतरा -3
जब कोख नगर ले उतरे भवानी
सोने सिंहासन भवर पालकी
छत्तीसगढ़ ले जाके आये
अलख देवता सेवा गाये
ताल बाजे व माहुर बाजे
दानव मारे असुर संहारे
जहां भुइँया पर तेतो ठहरे
जंहा पड़ गये आठ सेकड़ा
जंहा निरंजन टैटू खेले -2
उड़ान - चार कूट में छत्र तने है
शासन अपन चलाये
चलाये हो मईया
सेवा में बाग़ लगाए हो माँ
सेवा में बाग़ लगाये ,लगाये हो मइया
सेवा में बाग़ लगाये हो माँ
ये गीत म का केहे हे तेला छत्तीसगढ़ी भाषा म बताए गेहे
मुखड़ा:
सेवा में बाग़ लगाये लगाये हो मईया...
👉 माँ भवानी के सेवा म बगइचा लगाय गे हवय। फूल, पेड़-पौधा लगा के माता ला खुश करे जात हवय। भक्त कहिथे – हे मईया! हम तोर सेवा म सुंदर बाग लगाये हन।
🌿 अंतरा 1 (अर्थ):
हस के उठे वि हस के माता...
👉 माता भवानी अपन सिंगार करके उठथें, चंदन के थार म
बइठथें।
नींबू, जटा म नारियल लगाय गे हावय।
तालाब म केवरा के फूल ह फूलथें अउ हंस पक्षी ह उही म बिराजे
हवंय।
माता के पहना अउ श्रृंगार होवत हवय, संग म भैरव बाबा अउ
लँगूर देवता विराजे हावय।
आगे उड़ान पंक्ति म धर्म ध्वजा (धर्म का झंडा) लहराए के दृश्य
दिखाय गे हावय।
➡️ भाव ये कि – माता के सेवा, पूजा अउ आसपास के माहौल म
भक्ति अउ प्राकृतिक सुंदरता देखाय गे हावय।
🐴 अंतरा 2 (अर्थ):
जब इंद्र लोक ले उतरे लंगुरवा...
👉 इंद्रलोक से लंगूर (हनुमान जी जैसे) उतरथें।
घोड़ा पर सवार होके आवत हें, माथे म चंदन अउ पाँव म खड़ाऊ हे।
गंगा-यमुना माता खुद माता के पांव पखारत हें।
धरती फट गे हवय, तब हाथ म कमल ले गुलेल उठे हावय।
साड़ी पहिरे महामाई ठाढ़ हें अउ उनका भव्य स्वरूप देखाय जात हे।
माता के मुख म पान हे, जब वो ह मुंह खोलथें त लाल जिभिया दिखत हे।
➡️ भाव – माता के रूप अत्यंत चमत्कारी अउ भव्य हे। पूरा दृश्य दैवी शक्ति से भरल हावय।
🐘 अंतरा 3 (अर्थ):
जब कोख नगर ले उतरे भवानी...
👉 माता भवानी आकाशलोक से सोने के सिंहासन अऊ पालकी म उतरथें।
उहाँ ले सीधे छत्तीसगढ़ म आथें, जिहा अलख देवता सेवा करत हें।
ताल अउ (पारंपरिक वाद्य) बाजत हे, असुर-दानव मार गिराय गे हें।
जहां माता ठहरे, ओ जगह म आठ आठ सेकोड़ा (पहलवान, रक्षक) पहरा देथें।
निरंजन देव (शिव रूप) ओ जगह म खेल करत हें।
➡️ भाव – माता भवानी छत्तीसगढ़ धरती म अवतरित होके दुष्टन के नाश करत हें। उनकर राज चलत हे, चारो ओर तने हे।
पंडित युवराज पांडेय छत्तीसगढ़ी जस गीत के जाने-माने गायक हवंय।
एकर आवाज म भक्ति, भाव अउ लोक-संस्कृति के गहराई झलकथे।
एकर गीत मन मन माता के महिमा, सेवा अउ छत्तीसगढ़ के धार्मिक परंपरा के सुंदर वर्णन करथें।
ये गीत के यूट्यूब लिंक नीचे दे हावे



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