पहुना बनके ना – गुड्डा साहू का छत्तीसगढ़ी भजन

पहुना बनके ना - गुड्डा साहू | CG Jas Lyrics

पहुना बनके ना - गुड्डा साहू

CG Jas Lyrics | वेबसाइट ऑनर: के के पंचारे

गीत जानकारी

गीत: पहुना बनके ना

गायक व गीतकार: गुड्डा साहू

वेबसाइट: www.cgjaslyrics.com

गाना के बोल

ये तोर जग म आये हन, दया मया ल पाये हन...
पहुना बन के दाई तोर, पहुना बनके ना

भावार्थ

मुखड़ा:

हमन संसार मं मेहमान आय हन, तंय दया मया ल देके आशीर्वाद देथस।

अंतरा 1:

मईया सृष्टि के रचइया आय, हर कण मं तंय समाय हस।

अंतरा 2:

तोरे उपस्थिति ले धरती ह हरे-भरे हे, नदिया के रूप मं तंय बहथस।

अंतरा 3:

हम तोर घर मं मेहमान हन, माटी के चोला एक दिन झन टूट जाहि।

उड़ान (हर अंतरा के बाद):

एक दिन रूह उड़ जाही, फेर तोर गोद मं पहुना बन के आहिबो।

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गीत - पहुना बनके ना 

गायक -गुड्डा साहू 

गीतकार -गुड्डा साहू 

वेबसाइट -www.cgjaslyrics.com 

वेबसाइट ऑनर -के के पंचारे 

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गाना के बोल  

ये तोर जग म आये हन दया मया ल पाये हन 

 ये तोर जग म आये हन दया मया ल पाये हन 

उड़ान -पहुना बन के दाई तोर पहुना बनके ना 

अंतरा -1

माता हावय सृस्टि के रचइया सब म माता समाये -2 

चंदा सुरुज अउ तारा मन ल जग म हावय उगाये -2 

उड़ान -इही बसें हे न ये जग में भुवना बन के न 

पहुना बन के दाई तोर पहुना बनके ना

पहुना बन के दाई तोर पहुना बनके ना  

अंतरा -2

तोर हरे ये जग हर दाई तोला सदा हे रहना -2 

नदिया म तै बोहाथस दाई बनके गंगा जमुना -2 

उड़ान -रगले बरसथस ओ पानी के झरना बनके ना 

पहुना बन के दाई तोर पहुना बनके ना

पहुना बन के दाई तोर पहुना बनके ना 

पहुना बन के दाई तोर पहुना बनके ना  

अंतरा -3

तै नोहस पहुना मोर माता हमन हरन तोर पहुना  -2 

पाये हवन माटी के चोला तोर दया ले गहना  -2 

उड़ान -कब उड़ जाबो ना रूह संग पहुना बनके ना

पहुना बन के दाई तोर पहुना बनके ना 

पहुना बन के दाई तोर पहुना बनके ना 

मुखड़ा के भावार्थ:

"ये तोर जग म आये हन, दया मया ल पाये हन
पहुना बन के दाई तोर, पहुना बनके ना"

हे मईया ए संसार तेंह रचेस, हम सब तंय बने संसार मं बस पहुना (मेहमान) आय हन।
जइसने मेहमान घर मं आये के बाद आदर, मया, सेवा पाथे – वैसनेच हमन तोर दया अउ मया ल पाथन।
तोर अंचरा के छाँव मं रहिबो – एही हमर धन आय।


🔹 अंतरा 1 के भावार्थ:

"माता हावय सृस्टि के रचइया, सब म माता समाये
चंदा सुरुज अउ तारा मन ल, जग म हावय उगाये"

मईया हा खुद सृष्टि के रचइया आय। चंद्रमा, सुरज, तारा – जेमा प्रकाश हे – वोला तैं बनाए हस।
जग के हर चीज मं तोर रूप हे – मइया सब मं समाय हस।


🔹 अंतरा 2 के भावार्थ:

"तोर हरे ये जग हर दाई, तोला सदा हे रहना
नदिया म तै बोहाथस दाई, बनके गंगा जमुना"

तोर उपस्थिति ले ए धरती ह हरे-भरे हे।
तैं गंगा-जमुना के रूप मं बहथस, जिहाँ तोर शीतलता अउ पवितरता म मिलथे।
तोर बिना संसार बंजर हो जाथे।


🔹 अंतरा 3 के भावार्थ:

"तै नोहस पहुना मोर माता, हमन हरन तोर पहुना
पाये हवन माटी के चोला, तोर दया ले गहना"

हे मइया! तैंच असली घरवाली हस, हमन तोर घर मं मेहमान हन।
ए माटी के देह – एक दिन झन झन टूट जाहि, फेर तेंह जे दया अउ मया दे हस, वो हमर सबसे बड़े गहना आय।


🔚 उड़ान के भावार्थ (हर अंतरा के बाद):

"कब उड़ जाबो ना रूह संग, पहुना बनके ना"

एक दिन हमर रूह (आत्मा) उड़ जाही, फेर तभो ले हम तोर अंगना मं अतिथि बनकेच आहिबो।
ए दुनिया तो माया हे – असली ठिकाना तो मइया के गोद आय।

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