बम हे बम्लाई के दुवार | ममता देशमुख | बम्लेश्वरी माता जस गीत | CG Bhakti Jas Lyrics
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गीत - बम हे बम्लाई के दुवार
गायिका -ममता देशमुख
लेखक -परमानंद पुरबिया
म्यूजिक कंपनी -ji Seris
वेबसाइट -www.cgjaslyrics.com
वेबसाइट ऑनर -के के पंचारे
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मुखड़ा
बम हे बम्लाई के दुवार वो दुवार वो दुवार वो बम्लेश्वरी दाई
बईठे हस डोंगरी पहाड़ बम्लेश्वरी दाई बईठे हस डोंगरी पहाड़
उड़ान -वो बम्लेश्वरी दाई-2
अंतरा -1
पहाड़ फोड़ के उपजे मईया जंगल रद्दा बनाये
ऊपर पहाड़ म बइठे सुघ्घर आसन तैहा लगाये
उड़ान -लाल ध्वजा लहरे तोर दुवार वो दुवार वो दुवार वो बम्लेश्वरी दाई
बईठे हस डोंगरी पहाड़ बम्लेश्वरी दाई बईठे हस डोंगरी पहाड़
बम हे बम्लाई के दुवार वो दुवार वो दुवार वो बम्लेश्वरी दाई
अंतरा -2
मैहर गड़हीन तै महामाई शारदा नाव ले छाये
डोंगरगढ़ के पर्वत म तै बम्लाई बन के सुहाये
उड़ान-नर नारी आये तोर दरबार वो दरबार वो दरबार वो बम्लेश्वरी दाई
बईठे हस डोंगरी पहाड़ बम्लेश्वरी दाई बईठे हस डोंगरी पहाड़
बम हे बम्लाई के दुवार हो दुवार हो दुवार हो बम्लेश्वरी दाई
अंतरा -3
तोर बुलउवा सुन के माता दरसन बर सब आये
जेहर हर तोर दुवारी म आये भर के झोली जाये
उड़ान-सबके भरथस तैहा भण्डार वो भण्डार वो भण्डार बम्लेश्वरी दाई
बईठे हस डोंगरी पहाड़ बम्लेश्वरी दाई बईठे हस डोंगरी पहाड़
बम हे बम्लाई के दुवार हो दुवार हो दुवार हो बम्लेश्वरी दाई
बम्लेश्वरी दाई बईठे हस डोंगरी पहाड़
बम्लेश्वरी दाई बईठे हस डोंगरी पहाड़
बम्लेश्वरी दाई बईठे हस डोंगरी पहाड़
बम हे बम्लाई के दुवार – डोंगरगढ़ वाली माई के चमत्कारी कहानी (छत्तीसगढ़ी म)
गीत - बम हे बम्लाई के दुवार
गायिका - ममता देशमुख
गीतकार - परमानंद पुरबिया
संगीत कंपनी - Ji Seris
वेबसाइट - www.cgjaslyrics.com
वेबसाइट ऑनर - के के पंचारे
🌄 डोंगरी म बसे दाई बम्लेश्वरी – एक श्रद्धा के पहाड़
डोंगरगढ़ के डोंगरी म बिराजे वाली दाई बम्लेश्वरी ह आज लाखों मनखे मन के आस के केंद्र बन गे हे। ओ दुवार म जऊन मन जाथें, ओमन अपन मन के मनौती पूरा कराके अइसन विश्वास ल लौटथें जइसे स्वर्ग ले आइस होवंय। ममता देशमुख के गाया गीत "बम हे बम्लाई के दुवार" म येही आस्था के सजीव चित्रण करे गे हे।
🔱 मुखड़ा – माई के दुवार ले गूंजथे बम-बम
"बम हे बम्लाई के दुवार, बईठे हस डोंगरी पहाड़…"
ए पंक्ति सुनतेच, एक श्रद्धा से भराय दिल म डोंगरगढ़ के मंदिर के झलक उभर जथे। माई बम्लेश्वरी डोंगरी ऊपर अपन सिंहासन म बिराजे हावे, ओकरे दुवार म हजारों झन रोज बम-बम करत दर्शन करे बर आथें। डोंगरी के हर पथ, हर सीढ़ी, हर मोड़ म भक्तिभाव के बूंद परथे।
🌿 पहाड़ फोड़ के उपजी माई – जंगल म चमत्कार
गीत के पहिला अंतरा म कहे गे हे:
"पहाड़ फोड़ के उपजे मईया, जंगल रद्दा बनाये…"
कहानी ए रहिस के पहिले डोंगरगढ़ जंगल ले घिराय रहिस। ओ डोंगर म एक समय भगवान शिव के तपोभूमि रहिस। ओ जंगल म भारी चमत्कार घलाव होवत रहिस, जिहां एक दिन भयंकर गरजाहट म माई प्रकट होइस। पहाड़ ल फोड़ के माई निकलीस अउ जंगल म रद्दा बनगे। जेखर बाद लोगन मन वो दुवार तक पहिलीच बेर दर्शन करे बर पहुँच पाइस।
ए बात म कई पौराणिक मान्यता हावय – जइसे बम्लाई मतलब बम-बम करे के देवी, जऊन शिवजी के नाम के संग जोड़ी गे हवय।
🏞 मैहर के शारदा ले डोंगरगढ़ के बम्लाई तक
गीत के दूसर अंतरा म कहे गे हे:
"मैहर गड़हीन तै महामाई, शारदा नाव ले छाये…
डोंगरगढ़ के पर्वत म तै बम्लाई बन के सुहाये…"
इहाँ एक गजब के बात सामने आथे – शारदा माई जऊन मैहर म पूजा जाथें, ओही शक्ति स्वरूप डोंगरगढ़ म बम्लाई बन के आ गे। ओह पर्वत म बइठ के अपन भव्य स्वरूप म भक्त मन ला दर्शन देवत हें।
छत्तीसगढ़ अउ मध्यप्रदेश म माई के ए स्वरूप ल लेके भारी आस्था रहिस अउ आजो रहिस। शारदा माई के स्वरूप डोंगरगढ़ म बम्लाई नाम ले विराज मान हावंय – इही बात गीत म भावपूर्ण तरीक़ा ले गाथे।
🚩 तोर बुलउवा सुन के माता – सब झन पधारे तोर दुवार
तीसरा अंतरा म भक्त के भाव ल बखान करे गे हे:
"तोर बुलउवा सुन के माता, दरसन बर सब आये…"
"जेहर हर तोर दुवारी म आये, भर के झोली जाये…"
जब माई बम्लेश्वरी बुलाथे, तब माने ओ बुलाहट म असर रहिथे। भीड़ चाहे कतको हो, पर माई के बुलाहट म चलके भक्त मन डोंगरी चढ़ जाथें। ओ मन अपन मइया ल देख के झोली पसारथें, आँखी म पानी ले भर जाथें, मनौती करथें अउ जब लहू-लहू हो जाथें, त झोली भर के लौटथें।
डोंगरगढ़ के नवरात्र म ए दृश्य देखके मन रऊँज जाथे – जिहां छोटे ले बड़, गरीब ले अमीर, नर-नारी, बूढ़ा-बच्चा – सब माई ल पूजे बर आतें।
🧡 माई बम्लेश्वरी – हर मन के संकट हरै वाली
कई भक्त मन के कहानी हे – जेन मन के जीवन म भारी संकट आय रहिस, लेकिन माई बम्लेश्वरी के दर्शन करके, मनौती धर के, अइसन चमत्कार घलाव होइस के लोगन मन फेर जिनगी म मुस्कान देख पाइस।
कोनो संतान बर आथे, कोनो बीमारी ले छुटकारा बर, कोनो रोजगार बर, तो कोनो पढ़ई बर। सब माई के चरण म विश्वास ले झुकथे अउ माई घलो अपन भण्डार खोल देवत हें।
"सबके भरथस तैहा भण्डार, बईठे हस डोंगरी पहाड़"
🛕 डोंगरगढ़ – छत्तीसगढ़ के वैष्णो देवी
डोंगरगढ़ म स्थित बम्लेश्वरी मंदिर ह 1600 सीढ़ी ऊपर स्थित हे। ओ मंदिर म रात दिन पूजा पाठ होथे। विशेष करके चैत्र अउ कुआंर नवरात्र म एहाँ लाखों श्रद्धालु आथें। बम्लेश्वरी दाई के दर्शन करके मन शांत हो जाथे।
ए मंदिर म जयकारा गूंजथे –
“जय बम्लेश्वरी माई, डोंगरगढ़ वाली माई के जयकारा होवय।”
मेला के समय सड़कों म जसगीत, भजन, डोल-बाजा अउ भक्तिरस के गंगा बहे लगथे।
🪔 गीत म समाए भक्ति रस – परमानंद के लेखनी अउ ममता के स्वर
गीत के गीतकार परमानंद पुरबिया जी के लेखनी म ओ श्रद्धा झलकथे जऊन माई बम्लेश्वरी के दरबार म देखे जाथे। अउ गायिका ममता देशमुख के आवाज म जऊन गहराई हे, ओ सीधे माई के चरण म भक्त ला ल ले जाथे।
ए गीत छत्तीसगढ़ के हरेक घर म गूंजे वाला जसगीत बन गे हे, जऊन Spotify, YouTube अउ लोकल मंच म भारी लोकप्रियता पा चुके हे।
📢 निष्कर्ष – बम हे बम्लाई के दुवार, हर छत्तीसगढ़िया के दिल म बसे माई
डोंगरगढ़ माई बम्लेश्वरी ह आज घलो भक्त मन के पीरा हरथे, संकट हरथे, अउ मनोकामना पूरा करथे। "बम हे बम्लाई के दुवार" गीत म जऊन भावना हे, ओ सीधे आस्था के मंदिर म ल जाथे। ए गीत के हर पंक्ति म, माई के महिमा, भक्त के विश्वास अउ छत्तीसगढ़ के सांस्कृतिक पहचान झलकथे।
- 1. जगमग जोत जले – दास मनोहर के लेखनी म महतारी के महिमा
- 2. काहे के दियना दाई – दुकालू यादव के स्वर म करुण पुकार
- 3. दिया बरगे हो – कांतिकार्तिक यादव के स्वर म भक्तिरस
- 4. तोला दुर्गा कहव की माँ काली – शर्मीला विश्वास के जसगीत
- 5. माई के भुवन बड़ा भीड़ – भक्ति म डुबो देहे वाला जस
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