झन जा तै बेटा Lyrics | कवरू नगर मत जा |

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गीत: झन जा तै बेटा
गायक: राम जी सोनी
गीतकार/रचनाकार: प्रेम
म्यूजिक: छत्तीसगढ़ी फोक
वेबसाइट: www.cgjaslyrics.com
वेबसाइट मालिक: के के पंचारे
भाषा: छत्तीसगढ़ी
श्रेणी: लोकगीत / भावुक गीत / मातृस्नेह गीत
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मुखड़ा 
 
झन जा तै बेटा कवरू नगर के तै गांव झन जा तै बेटा - 2
उड़ान - यहो देश बंगाला नारी मन के - 2
लगजाही तोला छांव
 झन जा तै बेटा
हो...ओ मेर बेटा
कवरू नगर के तै गांव झन जा तै बेटा - 2

अंतरा - 1

देश बंगाला दूरीहा हे बेटा सात समुंद्र के पार रे 
एक बेर जे उहा जा छुट जाथे मया परिवार रे 
उड़ान - यहो देखत रहीथे मोहिनी तिरिया- 2
अपन लगा के ठाव 
 झन जा तै बेटा
हो...ओ मेर बेटा
कवरू नगर के तै गांव झन जा तै बेटा - 2

अंतरा - 2

कवरू नगर के तिरिया हे काई मनके ओकर मैला रे 
रात के पुरुष बनाही तोला दिन के बनाही बैला ले
उड़ान - यहो खेत जोता के करही किसानी- 2
परही तुतारी के घाव 
 झन जा तै बेटा
कवरू नगर के तै गांव झन जा तै बेटा - 2

अंतरा - 3

राज हमर राज शाही हावय सुख के राज चला रे 
जैसे कहिबे ओ कैना ला मन मर्जी तै ब्याह ले रे 
उड़ान - यहो हाेही उछाल मंगल घर मा- 2
कतका मैं समझाव 
 झन जा तै बेटा
कवरू नगर के तै गांव झन जा तै बेटा - 2

अंतरा - 4

मोर दूध के कर्जा हे बेटा हावय तोर उधारी रे 
ओला छूट के तै चले जाबे माता के छोड़ दुवारी रे 
उड़ान - यहो एक झन्न नाती देदे प्रेम ला - 2
चल जाही मोरो नाव 
 झन जा तै बेटा
कवरू नगर के तै गांव झन जा तै बेटा - 2
हो... ओ मेर बेटा 
कवरू नगर के तै गांव झन जा तै बेटा - 2

ये गीत म  बोलत हे तेला छत्तीसगढ़ी बोलचाल भाषा में दे हव निचे पढ़व 👇

कहानी छत्तीसगढ़ी बोलचाल म

कहानी के सुरूआत:

"झन जा तै बेटा, कवरू नगर के तै गांव झन जा तै बेटा.."

ए गीत ह जब गांव के जस-गीत म बाजे लागथे, त मइया मन के आंखी अपन आप भींज जाथे।
काबर? काबर कि ए गीत म ओ पीरा हे – जे मइया अपन बेटा के परदेश नई जाय करके समझावत हवय।

आज मंय तोला एही गीत म बसा कहानी सुनाहूं –
एक मइया के मन के बात, एक बेटा के सपना, अउ दुनो के बीच के संघर्ष।


👩‍👦 गांव के मालती दाई अउ ओकर बेटा राजू

मालती दाई के एके बेटा रहिस – राजू।
गरीबी रिहीस, फेर मइया ले भरपूर मया मिलत रिहीस।
राजू पढ़-लिख के अब जवान हो गे रहिस। काम बर हर दिन सोचत रहिस।

एक दिन ओ अपन मइया ले कहिथे –
"दाई! मंय बंगाल जाथं, एक ठन संगवारी कहिस हे, उंहा काम म बढ़िया पैसा मिलथे।"

मालती दाई के मन ह कांप गे।
ओ कहिथे –
"बेटा! बंगाल? एतका दूर? काबर जाथस? गांव म काम कर ले, खेत-खार हवय।"


 मइया के मन के डर – गीत म केहे गे बात

"यहो देश बंगाला नारी मन के, लगजाही तोला छांव..."

मइया डरात रहिस – बेटा परदेश जाही, तंय पराया मया म फंस जाबे।
"बेटा, ओतके मोहिनी तिरिया मन हावंय उंहा, तंय फंस जाबे अउ मोला भुला देबे।"

राजू मुस्कुरा के कहिस –
"दाई, अइसन नइ होही, मंय तोर ला कभू नइ भुलाहूं।"


 दूरी अउ पराया देश – सात समुंदर के पार

🎵 "देश बंगाला दूरीहा हे बेटा, सात समुंदर के पार रे.."

मइया कहिथे –
"बेटा, बंगाल म एक बेर गे के बाद मनखे फेर नई लौटे। मया म फंस जाथे, गांव के राह भुला जाथे। मंय तोर बिना कैसे रहंव?"

राजू कहिस –
"दाई, मंय कमाके तोर बर सब करहूं।"

मइया ह झन बोले फेर आंखी भर आइस।


🌙 रात के पुरुष – दिन के बैल

 "कवरू नगर के तिरिया हे, काई मन के ओकर मैला रे..."

मइया कहिथे –
"बेटा, परदेश के तिरिया चालाक होथे।
रात म तोला पुरुष समझही, अउ दिन म बैल बनाके काम कराही।
तोला अपन बना लेही, फेर जब मन भर जाही, छोड़ देही।"


🏡 गांव के सुख, घर के चैन

 "राज हमर राज शाही हावे, सुख के राज चला रे.."

मइया अपन मन के बात कहिथे –
"हमर गांव म सुख हे बेटा, अपन खेत हवय, अपन आंगन हवय।
कऊनो बात के डर नइ, न फरेब, न धोखा।"

"तंय बंगाल जाके का करबे? दुख पाबे, अनजाना बन जाबे।"


🍼 ममता के कर्ज – दूध के उधारी

 "मोर दूध के कर्जा हे बेटा, हावय तोर उधारी रे.."

मइया आंखी म आंसू ले कहिथे –


"बेटा, मंय तोला दूध पियाके, कोरा म पाल के, लड़ के बड़ा करंव।
अब तंय मोला छोड़ के परदेश जाथस?
मोर बुढ़ापा म मोला कऊन सम्हालही?"

राजू चुप हो जाथे। ओला कुछो बोल नइ निकलथे।


 राजू के फैसला – मोड़ म मोड़

राजू अपन झोला ला खोल देथे, अउ धीरे से कहिथे –


"दाई! मोर बंगाल तोर आंचल म हे।
मंय कहीं नइ जाथं। मंय तोर सेवा करहूं।"

मालती दाई के चेहरा म चमक आ जाथे।


🧾 कहानी के सार:

"झन जा तै बेटा" सिरिफ गीत नइ हे,


ओ मइया के मन के आवाज, चिंता, अउ ममता के असली रूप हे।

परदेश जाय बर सोचइया हर बेटा ला ए बात सोचना चाही –


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