👉गीत - हो रंग लाल हो रंग लाल 👉गायक - कांतिकार्तिक यादव 👉गीतकार - मौनीलाला 👉संगीत - ओ पी देवांगन //kantikartik jas lyrics//cgjaslyrics


 
दसमत फूल" विशेष रूप से हिन्दी साहित्य में कृष्ण भक्ति के क्षेत्र में प्रसिद्ध है। यह एक बहुत ही प्रसिद्ध कृष्ण भजन है जो उत्तर भारतीय भक्ति संगीत का महत्वपूर्ण हिस्सा है। "दसमत फूल" के माध्यम से भक्त भगवान कृष्ण की महिमा और भक्ति का अर्थ समझते हैं।

"दसमत फूल" में हर फूल एक विशेष गुण, गुणधर्म, और महत्व का प्रतिनिधित्व करता है, जो कृष्ण भक्ति में महत्वपूर्ण है। इन दस फूलों के माध्यम से, भक्त भगवान कृष्ण की सेवा, भक्ति, और प्रेम का मार्ग चित्रित करते हैं। इस भजन के माध्यम से भक्त कृष्ण के प्रति अपनी आस्था और प्रेम का अभिव्यक्ति करते हैं।

"दसमत फूल" का प्रसिद्ध भजन होने के कारण, यह अधिकांश भक्ति संगीत आयोजनों, कार्यक्रमों, और धार्मिक समारोहों में सुना जाता है। इसके बोल और संगीत में समर्पण और भक्ति का अनुभव होता है, जो भक्तों को भगवान के प्रति और उनके धार्मिक आदर्शों के प्रति जोड़ता है।

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👉गीत - हो रंग लाल हो रंग लाल 

👉गायक  - कांतिकार्तिक यादव 

👉गीतकार  - मौनीलाला 

👉संगीत   - ओ पी देवांगन 


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हो  रंग लाल हो रंग लाल हो रंग लाल

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हो रंग लाल हो रंग लाल हो रंग लाल सिंगार माई के अंग

 बर फुलवा लागे 


उड़ान -" फुलवा लागे माई बर  फुलवा लागे "


हो रंग लाल हो रंग लाल हो रंग लाल सिंगार माई के अंग

 बर फुलवा लागे 


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अंतरा -1 

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लाली हावे पाँव के माहुर नख लागे बड़ा प्यारी गा 


आनी बानी के जड़ी दार लुगरा लाली हावे किनारी गा 


बम ललियाथे हाथ के मेंहदी रहिथे वो बलिहारी गा 


होंठ म लाली हरे मुस्काये पुतरी लागे महतारी गा 


उड़ान -" जोगनी लागे माई हर जोगनी लागे "


हो रंग लाल हो रंग लाल हो रंग लाल सिंगार माई के अंग

 बर फुलवा लागे


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अंतरा -2 

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लाली दशमत गर म झलके लाड दुलार ल पाये गा 


कान करन फूल लटके लहसे जय जय कार बुलाये गा

 

कनिहा म करथन हासे मुसमुस माई के महिमा गाये गा 


बाहा भर चूड़ी पटा हा घनकत हासे अउ मुस्काये गा 


उड़ान -" रूप सुन्दर लागे माई हर सुन्दर लागे  "


हो रंग लाल हो रंग लाल हो रंग लाल सिंगार माई के अंग

 बर फुलवा लागे


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अंतरा -3 

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आके भवानी त्रिपुर सुंदरी माया अइसे रचाये गा 


मुख मंडल सुरुज अस चमके देव अस्तुति गाये गा 


सोन बरन दिखे महामाई माथ म चंदा सुहाये  गा 


काजर कारी लागे कटारी देव दानव डर्राये गा 


उड़ान -" मोहनी लागे माई हर मोहनी लागे  "


हो रंग लाल हो रंग लाल हो रंग लाल सिंगार माई के अंग

 बर फुलवा लागे


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अंतरा -4 

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केश घटा अस बिरबिट कारी नागिन अस लहराये गा 


मुड़ के गजरा चंपा चमेली मंदमंद मुस्काये गा 


आठो अंग म साजे सिंगारे पैजन छुन्नाये गा 


काजर कारी लागे कटारी देव दानव डर्राये गा 


उड़ान -" मोहनी लागे माई हर मोहनी लागे  "


हो रंग लाल हो  रंग लाल हो रंग लाल  सिंगार माई के अंग

 बर फुलवा लागे


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अंतरा -5 

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माघ म सिंदूर लाली कुमकुम बंदन हां मन भाये गा 


शिव के शिवानी हरे भवानी दया मया बरसाये गा

 

शीत रूप शीतला महागौरी हिमकैना कहाये गा 


कांति  ॐ संग गाके जस तोर मौनी लाला हरसाये गा 


उड़ान -" जगसति कहागे माई  हर सती कहागे  "


हो रंग लाल हो रंग लाल हो रंग लाल सिंगार माई के अंग

 बर फुलवा लागे




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