जा जा बेटी तैहा ससुरार /शत्रुहन पटेल
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गीत-जा जा बेटी तैहा ससुरार
गायक -शत्रुहन पटेल
मंडली -नव जागृति जस परिवार देवसरा (बालोद)
वेबसाइट-www.cgjaslyric.com
वेबसाइट ऑनर - के के पंचारे
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मुखड़ा
ज़ा जा बेटी तैहा ससुरार---ज़ा जा बेटी तैहा ससुरार
उड़ान - पतिव्रता धरम निभाबे ,तै धनी के सेवा बजाबे
सुख रही बेटी संसार -आ -आ र
ज़ा जा बेटी तैहा ससुरार--- जज़ा बेटी तैहा ससुरार
अंतरा -1
यहो शिवशंकर संग भावर परे जग के आदि भवानी
वर माला ल गल म डारे दूल्हा अवघड़दानी
यहो सोलह सिंगार म दाई सिंगारे बोले ददा मीठ बानी
संगी सखी मन असुवन ढारे बिदा करे के खानी
उड़ान - हो दाई ददा के नाव चलाबे ,सास ससुर के सेवा बजाबे -2
जिनगी ल पहाबे खुशहाल ---आ आ ल
ज़ा जा बेटी तैहा ससुरार--- ज़ा जा बेटी तैहा ससुरार
अंतरा -2
यहो बमहीन नारी गिरजा ल कहिथे पतिव्रता के कहानी
लाहत जीयत जेन ह रहिथे ओहि हे जग कल्याणी
यहो सास ससुर के भार ल सहिथे शक्ति ननद देवरानी
ओखर घर सुख सागर बईठे ज्ञान हे गंगा समाने
उड़ान - हो तै तीजा पोरा बर आबे ,हो सखी अलगे सुध लमाबे -2
देबे बेटी मया अउ दुलार ---आ आ ल
ज़ा जा बेटी तैहा ससुरार--- ज़ा जा बेटी तैहा ससुरार
अंतरा -3
यहो पतिवर्ता के धरम निभाबे जिनगी के सुख पाबे
अपन धनी ल देवता जनाबे झन तै एला भुलाबे
यहो पहली खवाबे तब तै खाबे जुगजुग सेवा बजाबे
पर डेहरी झन हाथ लमाबे खगे बढ़े ल बताबे
उड़ान - हो तै धनी के दुःख बिसराबे,संसो झन ओला कराबे -2
राख लेबे नैना म निहार ---हा -र
ज़ा जा बेटी तैहा ससुरार--- ज़ा जा बेटी तैहा ससुरार
अंतरा -4
यहो कोर गाथ के चिक्क्न रहिबे चुदी झन छरियाबे
बाहा भर चूड़ी टिकली लगाबे मांग म लाली भराबे
यहो खिनवा फुल्ली झन बिसराबे पाँव म महुर रचाबे
तीनो तिलिक म नाव जगाबे उच्हा मान ल पाबे
उड़ान - हो कभू झन तै घर ले भगाबे,धनी ल झन आँखि देखाबे -2
छूटे झन मया के गाठ ---आ
ज़ा जा बेटी तैहा ससुरार--- ज़ा जा बेटी तैहा ससुरार
अंतरा -5
यहो धनी के निंदा नरक बरोबर अतरी बूध पतियाबे
अपन घर हे सरग ले सुन्दर पर घर म मत जाबे
यहो बोली वचन मत होये जहर तइसे तै गोठियाबे
संझा बिहनिया दाई तै हर तुलसी म दीया जलाबे
उड़ान - हो दुखिया के सेवा बजाबे ,भूखे ल जेवन देवाबे -2
भूख झन रहे परिवार ---आ आ र र
ज़ा जा बेटी तैहा ससुरार--- ज़ा जा बेटी तैहा ससुरार
अंतरा -6
यहो बड़े के बात ल तै झन धरबे झन करबे कभू चारी
कुलटा के संग झन संगत परबे गरजत हव महतारी
यहो अपन धनी के दुःख हर लेबे झन देबे कभू गारी
कभू ओकर तै नाव झन लेबे ककरो के होते भारी
उड़ान - हो तै धनी के मान बढ़ाबे ,देवता सही ओला जनाबे -2
जौं होही तै हां झन डर--आ आ र र
ज़ा जा बेटी तैहा ससुरार--- ज़ा जा बेटी तैहा ससुरार
अंतरा -7
यहो इही नेग हे सबो तिरिया बर अचरा म बने गठियाहु
अपन धनी ल सबले सुन्दर ये दुनिया म जनाहु
यहो धनी के योद्धा होथे नोहर दोनों झन येला पाहुं
सरग बरोबर परके धनी हर कभू झन नैन लगाहु
उड़ान - हो जा रज रज माथा नवाबे ,धनी ल हिरदे बसाबे -2
धनी तोर करही बेड़ा पार --आ र र
ज़ा जा बेटी तैहा ससुरार--- ज़ा जा बेटी तैहा ससुरार
अंतरा -8
यहो पाँव लगरबे तेल चुपरबे रतिहा धनी ल सुताके
तेकर पाछू तैहर सुतबे दिया बाती बुताके
यहो घर अंगना म पानी भरबे तै ह बिहनिया आके
एक हाक में भागत आबे आरो धनी ले पाके
उड़ान - हो करूहा झन कभू गोठियाबे ,सदा चरनन माथ नवाबे -2
लेबे झन कभू ले उधार -आ र र
ज़ा जा बेटी तैहा ससुरार--- ज़ा जा बेटी तैहा ससुरार
अंतरा -9
यहो सबके जनइया आदि भवानी जानत हावस तैहर
तोर धनी हे औघड़ दानी कहिबे सबो शिवशंकर
यहो दुनिया के हित बर हे शिवरानी बात करे हव मैहर
आजलें पहुना होगे भवानी पवरी परत हव तुहर
उड़ान - हो लुका चोरी झन खाबे ,फूक फूक के पाँव मढ़ाबे -2
आये झन कभू जड़ भुखार -आ र र
ज़ा जा बेटी तैहा ससुरार--- ज़ा जा बेटी तैहा ससुरार
अंतरा -10
यहो चले चलागन दुनिया चलाये जोरन हावे जोराये
टुकनी म चाउर दार जोराये बरी हा दौरी जनाये
यहो कंगी दर्पण टिकली मगाये फुंदरा नई तो भुलाये
बेटी दुलार दयालु पुराये राजा बिदा कराये
उड़ान - हो नवजागृत नाव चलाबे,तै गुण के गंगा बोहाबे -2
मान लेबे मन के तिहार -आ र र
ज़ा जा बेटी तैहा ससुरार--- ज़ा जा बेटी तैहा ससुरार
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▶गायक परिचय - छत्तीसगढ़ी भाषा में
शत्रुहन पटेल छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध लोकगायक हैं,जेन हा ग्राम देवसरा जिला बालोद के रहने वाला हरे। जेकर गीत में भाव, भक्ति और परंपरा के रंग गहराई से समाए रहिथें। "जा जा बेटी तैहा ससुरार"गीत लोगन मन के मन म समाये हे अउ ये गीत ल बहुत ही सुन्दर ढंग ले परोसे हे। अइसे गीत मन भावन सन्देश देथे, जेमा बेटी के विदाई के पीरा अउ नवा घर म जिम्मेदारी के बात करे गे हवय। श्रोतागण ओखर स्वर म ममता अउ सीख के मिठास अनुभव करथें।
▶ मंडली परिचय (नव जागृति जस परिवार ग्राम - देवसरा,जिला - बालोद)
नव जागृति जस परिवार,ग्राम - देवसरा जिला - बालोद के एक लोकप्रसिद्ध जस मंडली आय, जेन ह जस गीत, देवी भजन अउ छत्तीसगढ़ी परंपरा ल जीवित रखे म महत्वपूर्ण भूमिकानिभाये हे । उकर मन के प्रस्तुति म भावनात्मकता, समर्पण अउ छत्तीसगढ़ी रंग झलकथे। ये मंडली हा हर जगह अपन छाप छोड़े हे।
▶ गीत के अर्थ -
"जा जा बेटी तैहा ससुरार" गीत एक बेटी के विदाई अउ ओकर नवा जीवन के शुरुआत ल समर्पित हे। गीत म सिखावल गे हे के ससुराल जाय के बाद बेटी ल पतिव्रता धर्म, सेवा, संयम, और संस्कृति ल अपनाना चाही।
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अंतरा 1-3: बेटी ल भगवान शिव अउ पार्वती के विवाह के उदाहरण देके सिखाए गे हे कि पतिव्रता बनके पति के सेवा, सास ससुर के मान अउ घर के काम म लगाना चाही ।
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अंतरा 4-6: बेटी ल सज धज के सुघ्घर बने, घर के मर्यादा म रहना, अपवित्र संग ल दूर रहना अउ मिठ बोली बोलना जरूरी बताइस हे ।
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अंतरा 7-9: पति ल देवता के रूप म मानना, घर ल स्वर्ग समान समझना, चोरी छुपे व्यवहार से बचना अउ संस्कारी बनके रहना के संदेश मिलथे।
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अंतरा 10: आखिरी म बेटी के सिंगार, मायके के दुलार अउ बिदाई के दृश्य हावे, जेमा दाई-ददा अपन लाडली ला ससुरार भेजथे, आशीर्वाद देके।
इ गीत छत्तीसगढ़ी नारी संस्कृति, पतिव्रता धर्म अउ माता-पिता के स्नेह ल सुंदर रूप म प्रस्तुत करथे। हर एक अंतरा एक सीख देवथे के बेटी कैसे अपन ससुरार म इज्जत से जिनगी गुजार सके।



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