अंगार मोती के अंगना म जागे जोति

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गीत -अंगार मोती के ओ
गायक -गुड्डा साहू
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वेबसाइट ऑनर -के के पंचारे
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मुखड़ा
अंगार मोती के वो--वो अंगना म जागे जोति वो--2
अंतरा -1
गंगरेल बांध म दाई चलय पुरवईया
नदिया के तीर म हावय शीतल छईया
उही मेर हावे देवी अंगार मईया
सगरे जगत के डोंगा पार करईया
उड़ान - चमकत हे अंग वो --ओ -ओ
पहिरे हे माला मोती वो
अंगार मोती के वो--वो अंगना म जागे जोति वो--
अंतरा -2
पाछू डहर ले दाई गंगा बोहाथे
नव लाख के गहना म देवी हा सुहाथे
आँखी म काजर कारी टिकली लगाये
पइरी के घुँघरू बाजे मन ल मोहाये
उड़ान -महकत हे गजरा वो --ओ -ओ
मुड़ म गाथे हे चोटी वो
अंगार मोती के वो--वो अंगना म जागे जोति वो--
अंतरा -3
देह म हे बंदन लाली तोर महतारी
लाल चुनरिया ओढ़े महिमा हे भारी
नर नारी तोर दुआरी मारे किलकारी
लईका पिचका तै हस देथस दाई चिन्हारी
उड़ान -तै विनती ल सुनके वो --ओ -ओ
हरही के भरथस गोदी वो
अंगार मोती के वो--वो अंगना म जागे जोति वो--
अंतरा -4
जग के परानी मन हां घर तोर हां बरथे
चूड़ी पाठ भेंट चघाके तोला सुमरथे
लक्मन झंगु दाई जस म झुमरथे
चरण पखारे ब्रम्हा खड़े पानी धरके
उड़ान -तोर रद्दा निहारे वो --ओ -ओ
खलिहा म आबे येती वो
अंगार मोती के वो--वो अंगना म जागे जोति वो--
अंगार मोती दाई के चमत्कारी कथा – छत्तीसगढ़ी म
छत्तीसगढ़ के बस्तर अंचल म एक गाोंव रहिस – मोटियारी। ए गाोंव के किनारा म बहत रहिस गंगरेल नदिया, अउ ओही तीर म एक पुराना मंझा मंदिर रहिस – अंगार मोती दाई के।
🌺 गीत ले जुड़ी भावना
"अंगार मोती के वो अंगना म जागे जोति वो" ए गीत म अंगार माई के अलौकिक रूप के बखान करे गे हे। देवी माई के अंग म मोती कस चमक, गजरा के महक, अउ सुहावना छईंया ह लोकमन ल मोह लेथे।
🌼 कथा के आरंभ – अंगना म जोति जागे
एक बेर के बात आय, गाँव म लछमन झंगु नाव के एक गरीब चरवाहा रहिस। ओकर लइका मन रोज रात म डहर बटकत रहिन, घर के भीतर दुख-दरिद्र के बादर छा गे रहिस। झंगु रोज अंगार मोती दाई के मंदिर जाय अउ चुपचाप दाई के चरण म बैठके गोहार लगाय:
“दाई, अंगना म जोति ला जगा दे, मोर घर म अंधियार बड़ घलो हे।”
एक रात जब झंगु दाई के दरबार म पूजा करथे, तब मंदिर म अचानक तेज जोति फूटथे। झंगु के आँख चकाचौंध हो जाथे, अउ ओ देखथे – देवी अंगार मोती ह खुद मूर्ति म ले निकर के ओकर कोरा म बइठ गे हे।
🔥 चमत्कार के सुरुआत
झंगु के घर जब वो जोति ल लयाके दीप म बराथे, तब ले ओकर घर म सुख के वर्षा होथे। लइका ह हांसथे, गाय-गोरू ह दूध देथे, अउ अंगना म फूल खिलथे। ओ ह रोज दाई ल भोग लगाथे – लड्डू, नारियल, अउ गेंदा फूल।
🌊 गंगरेल नदिया अउ दाई के परचा
गीत म कहे गे –
"गंगरेल बांध म दाई चलय पुरवईया, नदिया के तीर म हावय शीतल छईया"
गंगरेल नदिया के पानी म दाई ह अक्सर भटकथें। एक दिन गाँव के मनखे मन देखे – दाई के मूर्ति ह पानी म तैरत हे, अउ जिहां-जिहां पानी चलथे, ओतकी हरियर क्यार म फुलवा फूट जाथे। एला ले गाँव म परचा फइलथे के दाई आज घलो जिन्दा हे।
👑 नव लाख के गहना अउ गजरा
दाई ला सिंगार करे जाय – नव लाख के गहना, पैरी के घुँघरू, आँख म काजर, अउ मुड़ म गजरा। जेवन दाई के दर्शन करथे, ओला मानो मोती के किरण म लिपट गे रहाय।
🧒 बच्चा मन के दुलारी – चिन्हारी दाई
गीत म कहे गे –
"लईका पिचका तै हस देथस दाई चिन्हारी"
दाई ह बच्चा मन के रक्षक हे। जऊन लइका ह बीमार हो जाथे, ओकर गोदी म अंगार माई के चिटकाही म भस्म लगा दे जाथे, अउ बच्चा ह गेंदी कस खिल जाथे।
🙏 झुमरत श्रद्धा अउ भक्ति
"नर नारी तोर दुआरी मारे किलकारी"
लोकमन झुमरत रहिथे, झंगु हा झुमर गीत गाथे, अउ दाई के आंगन म भजन मंडली बन जाथे।
🌸 ब्रहम देव के दर्शन
"चरण पखारे ब्रम्हा खड़े पानी धरके"
ए कहिनी म बताय गे – एक दिन ब्रह्मा देव खुद अंगार माई के दर्शन करे बर आय रहिन। वो ह दाई के पांव धोके जल म अपन अक्स देखे रहिन। ये संकेत देथे के देवी खुद सृष्टिकर्ता मन ल आशीर्वाद देथें।
🌟 निष्कर्ष – अंगार मोती दाई के आस्था
अंगार मोती दाई के आस्था ह सिरिफ परंपरा नइ हे, वो एक जीवंत शक्ति के रूप आय। झंगु झइसे हर गरीब, हर भक्ति मन के अंगना म दाई के जोति जरथे। गीत म गाये गे हर शब्द, गाँव के लोक परंपरा ल जिन्दा करथे।
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- तोर अतका सूंदर रूप हे


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