मइके जाय बर माता सती के जिद – एक छत्तीसगढ़ी भक्ति कथा
______๑♡๑______
गीत -माता सती भवानीओ
गायक -कुंजलाल साहू
वेबसाइट -www.cgjaslyrics.com
वेबसाइट ऑनर -के के पंचारे
______๑♡๑______
माता सती भवानी ओ
माता सती भवानी ओ मइके जाये बर रटन लगाये ज़िद ल मताये ओ
उड़ान -यहो मया के बधना मया म दाई -2
मया म तैहा बधाय -2
माता सती भवानी ओ मइके जाये बर रटन लगाये ज़िद ल मताये ओ
अंतरा -1
यहो तईहा समय म दक्ष राजा हर ,यज्ञ रचाये भारी
यहो नेवता पाये देव ऋषि मन ,जावत ओरी पारी
यहोओही तीर चदरमा ल जावत देखे ,जब शक्ति महतारी
यहो पूछे बर भेजे बिमला सखी ल ,शिव के परम् पियारी
यहो तुरते जाके चदरमा ल पूछे,कहा हावय तैयारी
यहो दक्ष राजा के बात सुनाये तब चदरमा भारी
उड़ान -सुने सती हर जाके बताये -2
एकेच ठन ल बताय -2
माता सती भवानी ओ मइके जाये बर रटन लगाये ज़िद ल मताये ओ
अंतरा -2
यहो गांव भर सुनता बटत हे महतारी,भोला के तीर म जाये
यहो यज्ञ रचे हे मोर मइके म,कहिके सती गोहराये
यहोसब देवता मन जावत हावे ,मोरो मन ह होथे
यहो संग म महुँ ल लेगजा कहिके,सती हां जिद ल मताथे
यहो सती के बोली ल सुनके भोला हा,सती ल अइसे मनाथे
यहो तोर ददा मोला बइरी बनाये ,कहिके बढ़ समझाथे
उड़ान -यहो नेवता घलो नई हे भेजाये -2
झन जा कहीके चेताय -2
माता सती भवानी ओ मइके जाये बर रटन लगाये ज़िद ल मताये ओ
अंतरा -3
यहो कोनो नई जावय बिन नेवता के ,काबर करथो नदानी
यहो बिन नेवता के तैहर जाबे ,हासी परही भवानी
यहो जग म फदित्ता भारी होही,झनकर तै मनमानी
यहो बड़ पछताबे पाछू तैहर,मान ले तैहर सयानी
यहो भोला के अईसन बोली ल सुनके,अउ बहियागे भवानी
यहो अपन ददा बर सती बगियागे,खिसियाये आनी बानी
उड़ान -यहो सती के अंग अंग कापन लागे -2
रीस भारी भन्नाय -2
माता सती भवानी ओ मइके जाये बर रटन लगाये ज़िद ल मताये ओ
अंतरा -4
यहो शिव के बिना यज्ञ रचाये,बुध कइसे पतरागे
यहो कइसे यज्ञ हा पूरा होही,शिव के दिन अभागे
यहो चिन्ता होवत हे भारी मोला,देखत यज्ञ सर्वांगे
यहो आज्ञा देदे मोला कहिके,सती ओ अरझाथे
यहो सती माता के जिद के आगू ,भोला घलो रजवाथे
यहो शिव आज्ञा पाये,जोरन करन लागे
उड़ान -यहो बइला नदिया म कर के सवारी -2
मइके डहर ओ जाय -2
माता सती भवानी ओ मइके जाये बर रटन लगाये ज़िद ल मताये ओ
अंतरा -5
यहो शिव गण घलो संग म जाथे,नाचत कुदत भारी
यहो अइसे किसम ले सती महतारी,पहुंचे दक्ष दुवारी
यहो देखे सती संग कोनो नई बोले,अउ करत हे चारी
यहो बहनी घलो मन हास हास के,निंदा करथे भारी
यहोसब देवता मन अलगे बईठे,देखे सती महतारी
यहो शिव के सिंहासन जब नई देखे,सती दुखियाये भारी
उड़ान -यहो नदिया बइला म कर के सवारी -2
मइके डहर ओ जाय -2
माता सती भवानी ओ मइके जाये बर रटन लगाये ज़िद ल मताये ओ
अंतरा -6
यहो शिव गण घलो संग म जाथे,नाचत कुदत भारी
यहो अइसे किसम ले सती महतारी,पहुंचे दक्ष दुवारी
यहो देखे सती संग कोनो नई बोले,अउ करत हे चारी
यहो बहनी घलो मन हास हास के,निंदा करथे भारी
यहोसब देवता मन अलगे बईठे,देखे सती महतारी
यहो शिव के सिंहासन जब नई देखे,सती दुखियाये भारी
उड़ान -यहो नदिया बइला म कर के सवारी -2
मइके डहर ओ जाय -2
माता सती भवानी ओ मइके जाये बर रटन लगाये ज़िद ल मताये ओ
अंतरा -7
यहोथोड़को दया तोला लागिस नईहे,ददा ल तोर बेटी बर
यहो शिव के बिना यज्ञ रचाये,अंधरा बरोबर तैहर
यहो ब्रम्हा विष्णु घलो नई छोड़य,बोली बान ले जाहूहर
यहो सती रुशियागे ओरी पारी,सब देवता मन बर
यहो अईसने बोली सुनके,बगियागे सती बर
यहो शिव ल बहिहा पगला कहिके,सती ल सुनाये ओहर
उड़ान -यहो शिव के निंदा सुनके सती के -2
जिव बारी करलाय -2
माता सती भवानी ओ मइके जाये बर रटन लगाये ज़िद ल मताये ओ
अंतरा -8
यहो मोरो जीना विरथा हावय,पति के निंदा सुनके
यहो कइसे जाहु शंकर तीर म करिया मुहु ल लेके
यहो कल तोला भोगे ल परही ,मोर फुटहा करम के
यहो अइसे सती हर मने मन बोले,शिव के सुरता ल करके
यहो हावन कुंड म तन ल त्यागे,सती हर जाहुहर गिरके
यहोशारदा परिवार किस्सा सुनाये अम्र सती मरण के
उड़ान -कुंजलाल उऊ गौतम के दाई -2
आंसू धार बोहाय -2
माता सती भवानी ओ मइके जाये बर रटन लगाये ज़िद ल मताये ओ
🌺 भूमिका:का हे तेला देखव
छत्तीसगढ़ी भक्ति गीत "माता सती भवानी ओ मइके जाये बर रटन लगाये, जिद ल मताये ओ" एक ऐतिहासिक धार्मिक प्रसंग के भावनात्मक चित्रण ला सामने लाथे, जिहां देवी सती के त्याग, भक्ति, प्रेम अउ स्वाभिमान के झलक देखे ला मिलथे।
🌸 कथा – माता सती भवानी के अमर बलिदान
एक समय के बात आय, जब त्रिलोक म राजा दक्ष अपन यज्ञ के भव्य आयोजन करत रहिस। ये राजा दक्ष, भगवान शिव के ससुर रहिस, फेर वोला अपन दामाद कहिके कभू मन से कबूल नइ करिस। सती, राजा दक्ष के बेटी अउ शिव के परम पत्नी, अपन मइके जाये के जिद म लगगे।
🌼 माता सती के मन के बात का हे तेन जाने
"माता सती भवानी ओ मइके जाये बर रटन लगाये, जिद ल मताये ओ" – ये गीत के लाइन बताथे कि सती अपन मइके म होवत यज्ञ ल देखे बर आतुर रहिस। वोला माया के बंधन खींचत रहिस, अपन जनम के घर अउ परिवार ला देखे के चाह रखत रहिस। शिव जी, जे स्वयं योगी और त्याग के प्रतीक हवंय, सती ल समझाय के भरसक कोसिस करिन।
🌼 शिव के मना करई
भोलेनाथ अपन गहरी दृष्टि ले देख लेथें कि राजा दक्ष के मन म शिव के विरोध हवय। शिव सती ल समझावत हवंय – "नेवता नइ मिलिस, तोर ददा मोला बैरी समझथे, तैं झन जा।"
सती कहिथें – "भोला, मोर मइके म यज्ञ हवय, सब देवता मन जा थें, मोर मन घलो जावत हवय।"
शिव के बोल – "दच्छ राजा ह मोला यज्ञ म नइ बुलाय हवय, उहां तैं जाय के सही नइ होही।"
सती झन मानय, वोला लगथे कि शिव ओकर भावना ल नइ समझत, फेर शिव तो काल के गूढ़ जानइया हवंय।
यज्ञ के आयोजन अउ देवता मन के भूमिका
राजा दक्ष यज्ञ म ब्रह्मा, विष्णु, इन्द्र, वरुण, अग्नि, वायु सहित सब देवता ल बुलाय रहिस, फेर जानबूझ के शिव ल नइ बुलाय। देवता मन म घलो खलबली मचगे रहिस, फेर राजा के डर से कोनो नइ बोलिस।
सती समझगे कि शिव ल अपमानित करय गेय हवय। एक महिला बर अपन पति के मान-सम्मान ले बढ़के कुछ नइ होथे।
सती के यात्रा – नदिया बइला सवारी
सती, शिव के मना करे के बाद घलो, अपन नारी स्वाभिमान अउ जिद ले यज्ञ म जाय बर तय कर लेथे।
"बइला नदिया म कर के सवारी, मइके डहर ओ जाय" – ये उड़ान म सती के दृढ़ता झलकथे। वोला समझावत कोनो नइ सकिस। शिव गण घलो संग चल पड़े, फेर कोनो हसत रहिस, कोनो उपेक्षा करिस।
मइके म सती के अपमान
सती जब अपन मइके पहुंचीस, तेखर स्वागत नइ होईस। सबके चेहरा बदल गे रहिस। बहनी मन हस हस के निंदा करिन। देवता मन अइसने बइठे रहिन जइसे सती के आगमन बर कुछ मतलब नइ होय।
सती के मन टूट गे। शिव के सिंहासन ल नइ देखके, उकर मन अउ दुखी होगे। एक बेटी जब अपन मायके जाथे, ओला अपन परिवार ले स्नेह चाही, सम्मान चाही – फेर सती ल तिरस्कार मिलिस।
पिता के द्वार म सती के क्रोध
राजा दक्ष सती ला उपेक्षा के नजर ले देखथे। वो कहिथे – "तोर पगला पति ह यज्ञ योग्य नइ ए।"
सती आगबबूला हो जाथे – "शिव ह संसार के अधिपति आय, उही ह मया म बंधाय प्रकृति ला रचिस हे।"
एक बेटी के सामने जब उकर पति के अपमान होथे, ओमा ओकर आत्मा जल जाथे।
हवन कुंड म आत्मबलिदान
"हावन कुंड म तन ल त्यागे, सती हर जाहुहर गिरके" – एकरे संग कथा म भारी मोड़ आ जाथे। सती अपन अपमान ला सह नइ सकिस। शिव के बिना रचाय यज्ञ अधूरा रहिस। सती अपन देह ल हवन कुंड म समर्पित कर देथे।
यही सती के त्याग, अपमान के प्रतिकार, अउ पवित्र प्रेम के चरम आय।
कैलाश पर्वत म भोलेनाथ के क्रोध
जब शिव ल ये खबर मिलथे, वो ह बड़ क्रोधित हो जाथे। शिव अपन जटा के गुस्सा ले वीरभद्र ल उत्पन्न करथे, जे राजा दक्ष के यज्ञ म जाके सब तहस-नहस कर देथे। दक्ष के गरव ल चूर-चूर कर दे जाथे।
सती ह पुनः जनम लेथे – पार्वती रूप म
सती के आत्मबलिदान एक युगांतक घटना बन जाथे। फेर ईश्वर के लीला म अंत नइ होथे। सती फेर जनम लेथे – हिमालय के घर बेटी बनके। ओही आगे चलके पार्वती के रूप म शिव संग पुनः विवाह करथें।
🌼 कथा के शिक्षा:
-
पत्नी के स्वाभिमान – सती बताथें कि पति के सम्मान ले बढ़के कोनो चीज नइ हो सकय।
-
पिता के अहंकार के अंत – दक्ष के घमंड ओकर विनाश ला बुलाय।
-
शिव के प्रेम अउ त्याग – शिव अपन पत्नी के बलिदान म दुखी होके, संसार ले अलग हो जाथें।
-
ममता अउ मया के गाथा – सती मइके जाये बर जइसने रटन लगाइस, वो मया घलो ओकर जीवन के निर्णायक मोड़ बनगे।
🌺 निष्कर्ष:
गीत "माता सती भवानी ओ मइके जाये बर रटन लगाये ज़िद ल मताये ओ" ना केवल सुर म बंधाय हवय, बल्कि एक ऐतिहासिक-धार्मिक सत्यता म आधार रखे हवय। ये गीत छत्तीसगढ़ी संस्कृति अउ भक्ति के आत्मा ल जाग्रत करथे।
माता सती भवानी ओ, छत्तीसगढ़ी भक्ति गीत, सती महतारी कथा, शिव सती प्रेम कथा, छत्तीसगढ़ी कहानी, devotional story in cg, cg bhakti kahani, mata sati story, cgjaslyrics .
👇माता जी के अउ जस गीत पढ़े बर यहाँ क्लीक करे 👇
- तुम झूलव महामाई
- ये ओ मयारू दाई
- माई के भुवन बड़ा भीड़
- जब नवदुर्गा के हां
- जग ला रचे हे महामाया
- जग ऊपर कलशा कलश पर दियना
- आरुग हे कलशा दाई
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें