माई के भुवन बड़ा भीड़ | छत्तीसगढ़ी भक्ति गीत | Bhakti Kahani | CG Jas Lyrics


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गीत -माई के भुवन बड़ा भीड़

गायक - दुकालु यादव

निर्माता - रेखचंद ओसवाल

निर्देशन - उत्तम तिवारी

संकलन - रवि धनकर

वेबसाइट ऑनर -के के पंचारे 

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माई के भुवन बड़ा भीड़

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CG JAS Lyrics

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माई के भुवन बड़ा भीड़, भुवन कइसे लिपा जाय रो

 भुवन कइसे लिपा जाय रो

भुवन कइसे लिपा जाय रो

अंतरा -1

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लीपत लीपत  गए भुवन म देवमालीन के छोकरा -२

उड़ान -" येहो फूलवा चघावे सवा लाख हो "-२

माई के भुवन बड़ा भीड़, भुवन कइसे लिपा जाय re

अंतरा -2

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लीपत लीपत  गए भुवन म देव कुम्हारा के छोकरा -२

उड़ान -" येहो कलश चघावे सवा लाख हो "-२

माई के भुवन बड़ा भीड़, भुवन कइसे लिपा जाय रो

अंतरा -3 

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लीपत लीपत  गए भुवन म देव बामन के छोकरा -२

उड़ान -" येहो जाप करावे सवा लाख हो "-२

माई के भुवन बड़ा भीड़, भुवन कइसे लिपा जाय रो

अंतरा -4

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लीपत लीपत  गए भुवन म देव दर्जी के छोकरा -२

उड़ान -" येहो ध्वजा चघावे सवा लाख हो "-२

माई के भुवन बड़ा भीड़, भुवन कइसे लिपा जाय रो


खड़ा:
"माई के भुवन बड़ा भीड़, भुवन कइसे लिपा जाय रो"
माने – माता के दरबार (भुवन) म भारी भीड़ हे, ओ भुवन ल पूजा-पवित्तर कैसे करंव, ये तो समझ नइ आवत हे।

अंतरा 1:
देवमालिन के छोकरा – एक पवित्र कुल के छोकरा (ब्राह्मण), जऊन माई के भुवन म लीपत-लीपत (साफ करत) घलो सवा लाख फूल चढ़ावत हे।

अंतरा 2:
देव कुम्हारा के छोकरा – ओ माटी के काम करइया, लेकिन श्रद्धा एतका हे के कलश म पानी भर के माई ला सवा लाख कलश चढ़ावत हे।

अंतरा 3:
देव बाम्हन के छोकरा – माने पंडित लोगन के बेटा, जऊन सवा लाख जप करत हे।

अंतरा 4:
देव दर्जी के छोकरा – जऊन ध्वजा (झंडा) चढ़ावत हे, ओ घलो सवा लाख।

हर कोई अपन-अपन तरिका ले माई के सेवा करत हे, लेकिन भीड़ एतका हे के माई के दरबार के सफाई, भव्यता अउ व्यवस्था करना कठिन हो गे हे।


 छत्तीसगढ़ी कहानी

🏵️ माई के भुवन के भीड़ – श्रद्धा, सेवा अउ समर्पण के कथा

छत्तीसगढ़ के एक पवित्र धाम म स्थित हे माई के भुवन, जिहां हरेक जात, धरम, पंथ के मनखे सेवा करे बर आथे। ए भुवन म हर साल भव्य मेला लगथे, अउ हजारों लाखों श्रद्धालु अपन श्रद्धा ले भरपूर सेवा करत हें।

गांव के गली-गली म गूंजथे:
"माई के भुवन बड़ा भीड़, भुवन कइसे लिपा जाय रो!"

माने, माता के दरबार म एतका श्रद्धा अउ भीड़ हे के अब तो ओला लीपना (साफ करना) म भारी कठिनाई हो गे हे।


🌸 देवमालिन के छोकरा – फूल के सेवा

एक दिन, गांव के एक ब्राह्मण परिवार के छोकरा "देवमालिन" अपन संगी-साथी के संग माई के भुवन म पहुंचथे। ओमन देखथें के मंदिर के आँगन म माटी, फूल अउ धूल बगराए हे। उंकर मन म जइसे ज्वाला उठथे – "माई के भुवन ला ए हालत म नई छोड़न।"

ओमन झाड़ू, पानी, चंगौरा लेके भुवन के एक कोना म सफाई शुरू करथें। फेर खाली सफाई नइ, उ मन रोज सवा लाख फूल चढ़ाथें। गेंदा, गुलाब, बेला – जइसन जइसन फूल मिलय, ओला ले माई के चरण सजातें।

उड़ान म गूंजथे:
"येहो फूलवा चघावे सवा लाख हो!"


💧 देव कुम्हारा के छोकरा – कलश सेवा

दूसर दिन एक कुम्हार परिवार के छोकरा आवथे। ओ माटी ले कलश बनाके, ओमा पवित्र जल भरके, रोज भुवन म सवा लाख कलश चढ़ाथे। ओकर कहिनी ये रहिथे – “माई, मैं माटी के बेटा हंव, फेर तैं मोर मन म बसे हवस।”

ओ रोज नदी जाके जल भरथे, मंदिर तक लाके भरे पांव माई के मूर्ति म अर्पित करथे।

उड़ान गूंजथे:
"येहो कलश चघावे सवा लाख हो!"


📿 देव बाम्हन के छोकरा – जाप सेवा

एक दिन गांव के बाम्हन परिवार के छोकरा (पढ़ईया किसिम के) माई के भक्ति म अपन जीवन अर्पित कर देथे। ओ रोज माला लेके, चबूतरा म बइठ के माई के नाम के सवा लाख जाप करथे।

"मंत्र के शक्ति ले माई प्रसन्न होथें," कहिके ओ अपन ध्यान म लीन रहिथे।

उड़ान म गूंजथे:
"येहो जाप करावे सवा लाख हो!"


🚩 देव दर्जी के छोकरा – ध्वजा सेवा

अब आय देव दर्जी के छोकरा, जे दिन-रात कपड़ा सिलय, फेर जब माई के मेला के बेरा आथे, ओ अपन सिलाय बंद करके मंदिर खातिर ध्वजा (झंडा) बनावथे। ओ एतका भक्ति ले काम करथे के एक-एक ध्वजा म माई के नाम लिख के चढ़ाथे – सवा लाख ध्वजा!

ओ कहिथे – "माई म झंडा ल देख के प्रसन्न होथें, ये तो मोर भाग्य हे।"

उड़ान गूंजथे:
"येहो ध्वजा चघावे सवा लाख हो!"


🙏 भक्ति के सार:

हर कोनो अपन-अपन तरीका ले माई के भक्ति करत हे – कोनो फूल चढ़ाथे, कोनो कलश, कोनो जाप, कोनो ध्वजा।

पर मुख्य बात ये हे –
“भक्ति म जात-पात नइ होवय, माई के दरबार म केवल श्रद्धा गिनाय जाथे।”


📌 निष्कर्ष 

माई के भुवन केवल एक मंदिर नइ, उ श्रद्धा के संग्राम हे, सेवा के तीर्थ हे, अउ समर्पण के दरबार हे।
आज के दिन म, जब मनखे केवल दिखावा म लाग गे हे, तब ए गीत हमन ला बताथे –

"सच्चा भक्ति ओही आय, जेमा मन, तन अउ धन तिर ले माई बर समर्पण होवय।”






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