आगे आगे आषाढ़ के मास – परब जुड़वास गीत |चंदा यादव | छत्तीसगढ़ी जस गीत |
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गीत -परब जुड़वास के लागे
गायिका -चंदा यादव
जय माँ लक्ष्मी बालिका जस सेवा मंडली जोरातराई (राजनाँदगाँव )
यूट्यूब -मास्टर के वी
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वेबसाइट ऑनर -के के पंचारे
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मुखड़ा
आगे आगे आषाढ़ के मास परब जुड़वास के लागे
उड़ान - परब जुड़वास के लागे हो -2
आगे आगे,आगे आगे ,आगे आगे
आषाढ़ के मास
परब जुड़वास के लागे
परब जुड़वास के लागे
आगे आगे आषाढ़ के मास परब जुड़वास के लागे
अंतरा -1
महीना आषाढ़ हे पबरित पावन रितवा लगे बरसात गा
भय परब जुड़वास सुहावन मंदिर सेवा गाथे गा
माता देवाला बड़े मनभावन सोलह बहनिया साथ गा
शीतला दाई के चरण मनावत लगुरे खड़े दिनरात गा
उड़ान - परब जुड़वास के लागे हो -2
राखे भगति में ,राखे भगति में ,राखे भगति में
कतरो उपवास
परब जुड़वास के लागे
आगे आगे आषाढ़ के मास परब जुड़वास के लागे
अंतरा -2
बछर भर दिन ऋतु गनाये चर चर मास बटाये गा
बर्षा सिराये शरद ऋतु आये गर्मी तन ला तपाये गा
चेत जरत धरती अगियाये टिपत भोभरा जनाये गा
तेज सुरुज के सहे नई जाये जीव जन सब अकुलाये गा
उड़ान - परब जुड़वास के लागे हो -2
भागे कइसे ,भागे कइसे ,भागे कइसे
तन के पियास
परब जुड़वास के लागे
आगे आगे आषाढ़ के मास परब जुड़वास के लागे
अंतरा -3
मासो आषाढ़ म घर घर बादर गरजे जहुअर
बिजली चमके चरचर चरचर उमरखुमड़ के बज्जर गा
बरसे बदरा झरझर झरझर अमृत वर्षा बरोबर गा
शीतलंग पाये धरती कोरा हर लागे तनमन हरियर गा
उड़ान - परब जुड़वास के लागे हो -2
उड़े चिरगुन,उड़े चिरगुन,उड़े चिरगुन
चहके आगास
परब जुड़वास के लागे
आगे आगे आषाढ़ के मास परब जुड़वास के लागे
अंतरा -4
बनके सताक्षी शीतला भवानी पानी ल बरसाये गा
छाहित होये बरखा रानी सब के जिव जुड़ाये गा
करे किसनहा खेती किसानी नागर हरिया रेगाये गा
छोटे बड़े का सगरो परानी जागर तोर कमाये गा
उड़ान - परब जुड़वास के लागे हो -2
दाई रचना ,दाई रचना ,दाई रचना
रचे हे चउमास
परब जुड़वास के लागे
आगे आगे आषाढ़ के मास परब जुड़वास के लागे
अंतरा -5
बरूहा भगत हर गुण ल गाये माता के माता के सेवा गात गा
अगर कपूर हुम् धुप गुगवाये देहरी म दीया जलाये गा
सुमर सुमर के मुड़ी नवाये नरियर भेंट चघाये गा
मन के मनौती सबे मनाये दरस करे सुख पाये गा
उड़ान - परब जुड़वास के लागे हो -2
भागे सुमिरत,भागे सुमिरत ,भागे सुमिरत
सबके पियास
परब जुड़वास के लागे
आगे आगे आषाढ़ के मास परब जुड़वास के लागे
अंतरा -6
शीतला सबला शीतल करईया दया मया बरसाये गा
अपन भगत के पीड़ा हरइया माया के अचरा लामाये गा
बाधा विधन दुःख टरबे तरइया सबला सुख देवाय गा
रुखराई के नाश करईया बरवा गोहार लगाये गा
उड़ान - परब जुड़वास के लागे हो -2
करे कतरो ,करे कतरो ,करे कतरो
बिरहा के नाश
परब जुड़वास के लागे
आगे आगे आषाढ़ के मास परब जुड़वास के लागे
अंतरा -7
सबला शीतलंग माता देवईया का जुड़वास मानवव गा
श्रद्वा भाग्य के टिल के मईया हरदी तेल चघावव गा
बाधा विधन दुःख टरबे तरइया सबला सुख देवाय गा
जय ठकुराईन बूढ़ी माई जयजय जय गोहरावव गा
उड़ान - परब जुड़वास के लागे हो -2
तनमन म तनमन म तनमन म
भरे विश्वाश
परब जुड़वास के लागे
आगे आगे आषाढ़ के मास परब जुड़वास के लागे
अंतरा -8
नीम डारे ले चवर डोलाये लगुरे अलख जगाये गा
जुरमिल सेउक सेवा गाये मृंदग ढोल बजाये गा
सब माता रहिबे सहाये नर नारी गोहराये गा
दाई दयाली फुलवा चघाये गुरु चरण शीतलाये गा
उड़ान - परब जुड़वास के लागे हो -2
जय लष्मी जय लष्मी जय लष्मी
करे हव उपास
परब जुड़वास के लागे
आगे आगे आषाढ़ के मास परब जुड़वास के लागे
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अर्थ (Arth)
ए
गीत
मा
जुड़वास पर्व
के
महत्व
के
बखान
करे
गे
हे हावे। आषाढ़
मास
बरसात
के
सुरुआत
के
समय
आय,
जेमा
धरती
हर
हरियर
हो
जाथे,
किसान
मनखे
ला
खेती
बर
नवा
उमंग
मिलथे।
शीतला
माता
के
आराधना
करके
गा
गे
गीत
मा
भक्त
मन
अपन
श्रद्धा, विश्वास अऊ
उपवास
ला
समर्पित करथें।
महत्व (Mahatva)
1.
जुड़वास पर्व
छत्तीसगढ़ मा
खास
महत्व
रखथे।
2.
ए
दिन
मनखे
उपवास
रहिके
माता
शीतला
ला
मनाथे।
3.
आषाढ़
मास
के
बरसात
हर
धरती
ला
शीतलता
देथे।
4.
गीत
मा
भगवान
अऊ
देवी
शीतला
के
किरपा
के
आह्वान
करे
गे
हे।
5.
जस
मण्डली
मन
समाज
मा
भक्ति,
सेवा
अऊ
एकता
के
संदेश
देथें।
उद्देश्य (Udeshya)
1.
शीतला
माता
के
भक्ति
गीत
ला
गाके
जनमानस
के
मन
मा
श्रद्धा जगाना।
2.
जुड़वास पर्व
के
सांस्कृतिक अऊ
धार्मिक महत्व
ला
बताना।
3.
आषाढ़
मास
मा
देवी
के
पूजा-पाठ के परंपरा
ला
आगे
बढ़ाना।
गायक परिचय (Gayak Parichay)
ये गीत ल चंदा यादव हा गाय हावे चंदा यादव जस मंडली के गायिका हावे। येकर मंडली के नाम जय माँ लक्ष्मी बालिका जस सेवा मंडली जोरातराई (राजनाँदगाँव ) हावे। चंदा यादव हा जोरातराई राजनांदगाव के रहईया आय। येकर मधुर आवाज में जस श्रोता मन झूम नाचथे। चांण्डा यादव ह बहुत ही प्रतिभा साली गायिका हावे
जस मंडली परिचय
जय माँ लक्ष्मी बालिका जस सेवा मंडली जोरातराई (राजनाँदगाँव )
जस मंडली छत्तीसगढ़ के भक्ति संस्कृति के आधार स्तंभ हवंय। ए मंडली मन गाँव-गाँव, शहर-शहर मा जा के माता जस गाइन करके लोगन ला भक्ति रस मा जोड़थें। जस मंडली के गायन शैली मा ढोलक, मृदंग, झांझ अऊ घुंघरू के संगत रहिथे।
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