शीतला शीतला कहिके
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गीत - शीतला शीतला कहिके
गायक - दिवेश साहू
गीतकार - गौतम गुरु जी
म्यूजिक लेबल- महतारी सेवा
वेबसाईट - www. cgjaslyrics.com
वेबसाइट ऑनर- केके पंचारे
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शीतला शीतला कहिके
शीतला शीतला कहिके तोला मानवव ओ
आके चरण मा माता चोला जुड़ावव ओ
उड़ान - कारज मोरो साधादे हो ... ओ ओ ओ
कारज मोरो साधादे तोर भरोसा हावव ओ
आके चरण मा माता चोला जुड़ावव ओ
अंतरा -1
जब जब आंखी मुदव दरस तोर पाथव ओ
हिर्दे में भक्ति मचगे रही रही सोरियाथव ओ
उड़ान - माता पहुंचनी के बेरा हो ... ओ ओ ओ
माता पहुंचनी के बेरा
अंतस फरियाथव ओ
आके चरण मा माता चोला जुड़ावव ओ
अंतरा -2
कालजुगिया जीव के बरन हे सेवा दाईं के
कच्चा पक्का जूर जुर जेवन भोग महमाई के
उड़ान - लीम डारा के सुघघर हो ... ओ ओ ओ
लीम डारा के सुघघर
चवर डोलावव ओ
आके चरण मा माता चोला जुड़ावव ओ
अंतरा -3
तोर परसादी जगत के चलथे जिनगानी ओ
मया ला शीतल करदे बरसादे पानी ओ
उड़ान - गौतम अरज गोहारो हो ... ओ ओ ओ
गौतम अरज गोहाre
तोर डिही रहिजावव ओ
आके चरण मा माता चोला जुड़ावव ओ
शीतला शीतला कहिके तोला मानवव ओ
आके चरण मा माता चोला जुड़ावव ओ
उड़ान - कारज मोरो साधादे हो ... ओ ओ ओ
कारज मोरो साधादे तोर भरोसा हावव ओ
आके चरण मा माता चोला जुड़ावव ओ
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छत्तीसगढ़ी गीत अर्थ एवं अनुवाद: “शीतला शीतला कहिके”
🎤 गीत: शीतला शीतला कहिके
🎙️ गायक: दिवेश साहू
✍️ गीतकार: गौतम गुरु जी
🏷️ लेबल: महतारी सेवा
🌐 वेबसाइट: www.cgjaslyrics.com
👤 वेबसाइट ऑनर: के के पंचारे
🕉️ गीत के भावार्थ (SEO-Friendly):
मुखड़ा:
"शीतला शीतला कहिके" तोला मानथं, माता तोर चरण म चोला (चुनरी) चढ़ाथं।
🙏 हे माई, मोर काम सिद्ध कर दे — तोर भरोसा हावे।
अंतरा 1:
जब आंखी मूंदथं, तोर दर्शन देखथं, भक्ति मन म गूंजथे।
जब माता पहुंचथे, तब अंतस ले अरज करथं।
अंतरा 2:
कालजुग म सेवा ही जीवन के उपाय आय, महमाई के भोग म सच्चा श्रद्धा हे।
नीम डारा के छांव म माई चंवर डोलाथे।
अंतरा 3:
माई के परसाद ले दुनिया चलथे, ममता शीतल होथे, जीवन ठंडा होथे।
गौतम गुरुजी कहिथें — माई तोर दहलीज म जीवन बीत जाये।
छत्तीसगढ़ी कथा: "शीतला माई के चोला"
🌾 कथा प्रारंभ:
छत्तीसगढ़ के एक छोटे से गांव “पखांजूर” म गौतम नाम के एक गायक रहिस, जऊन रोज सबेरे उठ के माता शीतला के मंदिर जाथे। ओके माता म गजब के श्रद्धा रहिस।
गौतम रोज कहिथे – “शीतला शीतला कहिके तोला मानवव ओ, आके चरण मा माता चोला जुड़ावव ओ…”
🪔 माई के सेवा: चोला चढ़ाय के परंपरा
गांव म हर मंगलवार माता शीतला के चोला चढ़ाय जाथे।
गौतम गुरुजी ह अपन गीत ले गांव के मनखे मन म भक्ति के अगास लगा दिहिन।
माता के मंदिर म नीम डारा के छांव रहिस, जिहां भक्तजन बैठ के चोला, लड्डू, नारियल चढ़ाथे।
“लीम डारा के सुघ्घर, चंवर डोलावव ओ…”
माई के चंवर (पंखा) म सेवा करई के सौभाग्य सबो झन चाहथें।
🌿 गांव म विपत्ति: बीमारी के डर
एक दिन गांव म गर्मी ले बड़ बीमारी फइल गे। लोगन मन भयभीत हो गइन – बच्चा बूढ़ा सब बुखार म जलत रहिन।
तब गौतम मंदिर जाके माता के गोहार लगाइस:
“तोर परसादी जगत के चलथे जिनगानी ओ
मया ला शीतल कर दे, बरसादे पानी ओ…”
माई के चरण म अपन भक्ति गीत गाके, चोला चढ़ाके – पूरा गांव ले अरज करइस।
🌧️ शीतल परसाद: माता के कृपा
माई सुन लीस।
अगले दिने ठंडी हवा चलिस, बरखा होइस। बुखार कम हो गे, गांव धीरे-धीरे ठीक हो गे।
गौतम गीत गावत रहिस:
“कारज मोरो साधा दे, तोर भरोसा हावव ओ…”
गांव के लोग माता के कृपा मानिन, अउ माई के मंदिर म भजन, चोला, भंडारा सुरू हो गे।
🏞️ गांव के पुनरुत्थान: सेवा अउ भक्ति के असर
अब हर घर म नीम डारा लगाय गे।
हर मंगल, गुरुवार अउ तीज म माई के चोला चढ़ाय जाथे।
भक्ति ले गांव भर उठे:
🌟 माई के दर्शन: स्वप्न म गौतम ला दर्शन
एक रात गौतम सपना म देखिस – शीतला माई अपन हाथ म जल के कलश अउ नीम के पत्ता ले ओकर माथा ला छूथें।
माई कहिथे:
“गौतम! तोर सेवा, तोर भक्ति रंग लाइस। ए गांव म अब दुख नइ रहिही।”
सपना टूटत ओ भावुक हो गे, अउ अगला दिन मंदिर म भंडारा कराइस।
📿 कथा के पात्र अउ संदेश
पात्र | भूमिका |
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गौतम गुरुजी | सच्चे भक्त, गीतकार, माई के सेवक |
शीतला माई | करुणा, शीतलता अउ भक्ति के प्रतीक |
गांव के लोग | श्रद्धा अउ सामूहिक सेवा के प्रतिनिधि |
✍️ निष्कर्ष:
“शीतला शीतला कहिके” गीत भक्ति, संस्कृति अउ सेवा के बखान आय।
छत्तीसगढ़ के हर गली म शीतला माई के भजन गूंजे अउ नीम डारा के ठंडक जइसे माता के करुणा सबो जीव ला बचावय।
गौतम गुरुजी के लिखे ए भजन केवल गीत नइ – ए भक्ति यात्रा आय।
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