मईया ल निंदिया नई लागे

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गीत-मईया ल निंदिया नई लागे 

गायक -दुकालू यादव 

गीतकार -दुकालू यादव 

म्यूजिक कंपनी -के के कैसेट 

वेबसाइट - www.cgjaslyrics.com 

वेबसाइट ऑनर -के  पंचारे 

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 मुखड़ा 

मईया ला निदिया नहीं लागे लोरी गा के सुना दे भईया लंगूरे भईया लंगूरे -2

 अंतरा -1  

लिमुआ पाना के सुघ्घर सेज बिछाके 

माता देवाला के माटी अंग भर लगाके-२ 

उड़ान-तेल हरदी लगाके बिरजू बईगा ला बुलाके भईया लगुरे भईया लगुरे-2 

मईया ला निदिया नहीं लागे लोरी गा के सुना दे भईया लंगूरे भईया लंगूरे -2

  अंतरा -2 

 सातो बहिनिया मईया झूलना झूलाके 

बईठे लंगूरवा भईया पवरी दबाके

उड़ान-सेवा मैया के बजा के जस पचरा सुना के भईया लंगूरे भईया लंगूरे -2

  अंतरा -3 

. शीतला सवांगा धरके आये हव भुवन में 

माथ नवाये कोसरिया शीतला चरण मैं

उड़ान-माता ला भोग लगाके चूड़ी चुनरी चढ़ाके भईया लंगूरे भैया लंगूरे

मईया ला निदिया नहीं लागे लोरी गा के सुना दे भईया लंगूरे भईया लंगूरे -2 

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गीत के अर्थ  - छत्तीसगढ़ी बोली भाखा में

ऐ  गीत म बताय गे हे के मईया ला निंदिया नइ लागत हे। लोरी गा के, जस सुनाके, सेवा करके ओला सुताय के कोसिस होवत हे। गीत म लंगूर भइया के मया अउ सेवा के बखान करे गे हे, जे मन लोरी गाथें, पचरा सुनाथें अउ माता के सेवा करथें।

मिट्टी के सेज, हरदी-तेल, चूड़ी-चुनरी, भोग, अउ झूला के माध्यम ले एक परंपरागत धार्मिक छवि बनाय गेहे।गीत म माता के सेवा, मया, भक्ति अउ घर-परिवार के सुघ्घर झलक देखे ला मिलथे। लोरी, जस अउ भजन के रूप म गाए गे ये गीत म भाई-बहिनी के प्रेम, शीतला माता के महिमा अउ माटी से जुड़ाव के भाव बड़े सुंदर तरीका ले उभरे हे।

🚩गायक परिचय – दुकालू यादव जी

दुकालू यादव जी  छत्तीसगढ़ के सुप्रसिद्ध लोकगायक, जसगीत गायक अउ गीतकार हरे।  ओमन छत्तीसगढ़ी संस्कृति, भक्ति अउ परंपरा ला अपन सुमधुर आवाज म पिरो के जनमानस तक पहुँचाय हवय। खासकर के माई जस, देवी भजन, अउ लोक धार्मिक गीत म ओमन के विशेष पकड़ हावे हे।

🚩 प्रमुख विशेषता:-

  •  स्वर-साधना के माध्यम ले छत्तीसगढ़ के कोने-कोने म अपन नाम कमाय हावे ।

  • गीत खुदे लिखथें, गाथें अउ मंच म भाव भरे प्रस्तुति भी देथें।

  • ओकर गायकी म माटी के गंध, भक्ति के भाव अउ भाषा के मिठास झलकथे।


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