MUDI KE MALA//मुड़ी के माला पहिरे
_________मुड़ी के माला पहिरे _________
गीत-मुड़ी के माला पहिरे
गायक- धर्मेंद्र सुफल भगत
गीतकार -परमानंद पुरबिया
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मुड़ी के माला पहिरे
मुड़ी के माला पहिरे अवघड़हीन के आले हे
मुड़ी के माला पहिरे अवघड़हीन के आले हे
उड़ान- कोलकाता वाली ओ दाई कोलकाता वाली ओ
नई होवय जग मा अइसन कहूं के ऊफेर
मुड़ी के माला पहिरे अवघड़हीन के आले हे
मुड़ी के माला पहिरे अवघड़हीन के आले हे
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अंतरा -1
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अरन बरन के बरन में दाई कारी बरन बरत हे
खड़ा खप्पर धरे चंडिका बैरी ला जेहा झरत हे
लक लक लहू के उखड़ मात गै तीसर नयन जरत हे
सिर सिंदूर कर नखी कटारी भुतवा ला हाक परत हे
उड़ान - अंटागढ़ वाली ओ दाई अंटागढ़ वाली ओ
भुलागे भाग लिखईया कोन जनि लिखे बर ले
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अंतरा -2
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विरन बिकट बर नाय नरैनी बरन बिसा ला काबर ओ
दुहरी मा दुहरी तिहरी त्रिलोकीन मुड़ी के माला काबर ओ
लक लक लहू के उखड़ मात गै तीसर नयन जरत हे
सिर सिंदूर कर नखी कटारी भुतवा ला हाक परत हे
उड़ान - अंटागढ़ वाली ओ दाई अंटागढ़ वाली ओ
भुलागे भाग लिखईया कोन जनि लिखे बर ले
मुड़ी के माला पहिरे अवघड़हीन के आले हे
मुड़ी के माला पहिरे अवघड़हीन के आले हे
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अंतरा -3
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गिरी पर्वत जल अगिन अगाशा सरबस तोरे दासी ओ
लरही कस लहू रकत के दाई काबर अतीक पियाशी ओ
रकतबीज रक्षा बर अम्बा जुगजुग के तै फांसी ओ
पिले पिले रकत चामुण्डा होबे कभू हितासी ओ
उड़ान -नैनागढ़ वाली ओ दाई नैनागढ़ वाली ओ
जग म जेकर जहुहर कत अतके लहसी फिरे
मुड़ी के माला पहिरे अवघड़हीन के आले हे
मुड़ी के माला पहिरे अवघड़हीन के आले हे
कोन जनि तै करम करे बैरी भूत्वा फ़ुले ओ
मॉस मोहर के अनवत हरवा गर म गजब के खुले ओ
ओरमा झोरमा गल करधनिया कनिहा म तोर झूले ओ
सुन लेबे कभु सुफल भगत के हमरो डेरौथी छूले ओ
उड़ान-मोहबा गढ़ वाली ओ दाई मोहबा गढ़ वाली ओ
पुरबिया के पहुना बनते अवगढ़ींन शीतला सरे
मुड़ी के माला पहिरे अवघड़हीन के आले हे
मुड़ी के माला पहिरे अवघड़हीन के आले हे
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