BAMLESHWARI TOLA//बमलेश्वरी तोला सुमिरव
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बमलेश्वरी तोला सुमिरव
गीत -बमलेश्वरी तोला सुमिरव
गायक-रामू यादव
गीतकार - रामू यादव
वेबसाइट- cgjaslyrics
Website owner -कैलाश पंचारे
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बमलेश्वरी तोला सुमिरव
बमलेश्वरी तोला सुमिरव डोंगरगढ़ के
बमलेश्वरी तोला सुमिरव डोंगरगढ़ के
उड़ान - मईया डोंगरगढ़ के
बमलेश्वरी तोला सुमिरव डोंगरगढ़ के
बमलेश्वरी तोला सुमिरव डोंगरगढ़ के
उड़ान - मईया डोंगरगढ़ के
बमलेश्वरी तोला सुमिरव डोंगरगढ़ के
बमलेश्वरी तोला सुमिरव डोंगरगढ़ के
(1)
कोन भक्त बर सीढ़िया बनाए कोन भक्त बर उड़न खटोला
कोन भक्त बर सीढ़िया बनाए कोन भक्त बर उड़न खटोला
उड़ान - कोन भक्त तोर सेवा बजाए
मईया डोंगरगढ़ के
बमलेश्वरी तोला सुमिरव डोंगरगढ़ के
बमलेश्वरी तोला सुमिरव डोंगरगढ़ के
(2)
गोड़वा लेबर सीढ़िया बनाए अपन बर उड़न खटोला
गोड़वा लेबर सीढ़िया बनाए अपन बर उड़न खटोला
उड़ान-भक्त साथ मन सेवा बजाए
मईया डोंगरगढ़ के
बमलेश्वरी तोला सुमिरव डोंगरगढ़ के
बमलेश्वरी तोला सुमिरव डोंगरगढ़ के
(3)
कोन महीना तोर मेला भराए कैसन तोर जगजोते
कोन महीना तोर मेला भराए कैसन तोर जगजोते
उड़ान- कइसन भीड़ तोर दरस बर उमड़े
मईया डोंगरगढ़ के
बमलेश्वरी तोला सुमिरव डोंगरगढ़ के
बमलेश्वरी तोला सुमिरव डोंगरगढ़ के
(4)
चैत कुंवार में मेला भराए जगमग बरे जोगजोत
चैत कुंवार में मेला भराए जगमग बरे जोगजोत
उड़ान -भक्त भीड़ तोर दरस बर उमड़े
मईया डोंगरगढ़ के
बमलेश्वरी तोला सुमिरव डोंगरगढ़ के
बमलेश्वरी तोला सुमिरव डोंगरगढ़ के
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🌺 गीत के अर्थ (छत्तीसगढ़ी में):
“बमलेश्वरी तोला सुमिरव डोंगरगढ़ के”
मतलब – हे माता बमलेश्वरी, मैं तोला याद करत हंव, तोर डोंगरगढ़ धाम ला सुमिरथंव।
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कोन भक्त बर सीढ़िया बनाए, उड़न खटोला बनाए:
मईया अपन सच्चा भक्त बर चमत्कार करथें – कोई सीढ़ी बना लेथे, कोई उड़न खटोला म पहुंच जाथे। -
गोड़वा लेबर सीढ़िया बनाए, अपन बर उड़न खटोला:
भक्त कहिथे – हमन अपन मेहनत से तोर दरस बर सीढ़ी बनाए हवन, तन मन धन ले सेवा करथन। -
चैत-कुंवार म मेला भराए, जगमग बरे जोगजोत:
नवरात्रि अउ चैत महिना म डोंगरगढ़ म मेला भरथे, हजारों भक्त जोत जला के माई के दरस करथे।
🛕 छत्तीसगढ़ी कथा – "बमलेश्वरी तोला सुमिरव"
छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ म बइठे बमलेश्वरी माई के दरबार म रोज हजारों भक्त जाथें। ये गीत म एक भक्त के बिस्वास, सेवा अउ भक्ति के बात करे गे हे।
🙏 रामू यादव अपन गीत म कहिथे –
"माई, तोर दरबार ले कोनो खाली नइ जाथे। कोनो सीढ़ी चढ़ के आथे, कोनो उड़न खटोला म – फेर सबले जरूरी तोर सेवा हे।"
🌸 एक गरीब किसान 'घनश्याम' अपन घर के दुख ल भुला के डोंगरगढ़ म माई के मेला म जाथे। ओ ह कहिथे –
"मईया, मोर गोड़वा तो थक गे हे, फेर मन नइ थकिस। तोर दरबार म जोत जला के मोला चैन मिलथे।"
🎇 हर साल चैत अउ कुंवार म बमलेश्वरी मेला म भक्त अपन मन के जोत ल लाथें –
"हे मईया! मोर जिनगी म अंधियारा हवे, तोर जोत ल जगाके उजियारी मांगथंव।"
गीत म कहे गेय बात –
"जगमग बरे जोगजोत, भक्त भीड़ दरस बर उमड़े।"
– अइसने लागथे मानो स्वर्ग धरती म उतर गे हो।
छत्तीसगढ़ी कथा: बमलेश्वरी तोला सुमिरव – डोंगरगढ़ वाली मइया के किरपा कथा
🕯️ प्रस्तावना
छत्तीसगढ़ के हर कोना म माता बमलेश्वरी के जयकारा गूंजथे, खासकर डोंगरगढ़ के पहाड़ी ऊपर बसे देवी मंदिर म। “बमलेश्वरी तोला सुमिरव डोंगरगढ़ के” गीत ह ओही मइया के भक्ति म समर्पित एक मधुर जसगीत आय। गायक रामू यादव के स्वर म गाए गे ये भजन, भक्तिन मन के मन म नई उमंग भर देथे।
🌾 कथा के आरंभ – डोंगरगढ़ के भरोसा
बहुत साल पहिली के बात आय। डोंगरगढ़ के निचले गांव म एक गरीब किसान रहय, नाव रहिस – घनश्याम। ओकर घर म माई-बाबू, घरवाली अउ दू झिन लइका रहिन। हर साल ओमन बमलेश्वरी मइया के मेला म जाय के बिसवास राखंय। फेर एक साल, जब चैत के मेला भरत रहय, घर म पैसे नई रहिस।
घनश्याम दुखी होके अपन घर के आंगना म बइठ गे, अउ आंखी म आंसू भर के कहिस –
“हे डोंगरगढ़ के मइया, मं तोला सुमिरथं, फेर तोर दरसन म नइ जाव सकं। मोर मइया, एक बेर अपन दरसन दे...”
🔥 भक्ति म लगन – उड़े सेवा के भावना
ओ रात घनश्याम ला सपना म माता बमलेश्वरी दरसन दीन –
“बेटा, सेवा मन ले कर, मोर सीढ़ी चढ़। तोर भक्ति म मोर किरपा हमेशा रहिही।”
सपना देखके घनश्याम तुरते अपन घर म जाग गे। उंखर घर म कोनो साधन नई रहिस, फेर मन म भरोसा रहिस।
सबेरे, ओ अपन लइका मन संग डोंगरगढ़ के ओर पैदल चल परे। जइसे-जइसे ओमन पहाड़ी म चढ़थें, गीत के बोल उंकर मन म गूंजे लगथे –
“बमलेश्वरी तोला सुमिरव डोंगरगढ़ के...”
🌄 सीढ़ी चढ़ना – भक्ति के परिक्षा
डोंगरगढ़ के मइया के मंदिर म सैकड़ों सीढ़ी चढ़ना परथे। घनश्याम, जेकर गोड़ फाट गे रहिस, फेर ओकर मन मा माता के दरसन के लगन रहिस। हर सीढ़ी म ओ कहिथे –
“हे मइया, तोर सीढ़ी चढ़थं, तोर किरपा चाहं।”
जइसे-जइसे ऊपर चढ़त रहिस, ओला अइसन लागय –
मइया ओकर पांव खुदे उठा के मंदिर ले जात हवे।
🕊️ भक्ति के शक्ति – उड़े खटोला
गीत म कहे गे हे –
“कोन भक्त बर उड़न खटोला...”
एमा विश्वास के संकेत हे। जइसे घनश्याम मंदिर पहुंचत हे, भीड़ म एक ठन साधु आगे आके कहिथे –
“बेटा, मं तोला तीन दिन से देखत हंव। तोर भक्ति सच्चा हव। ले, ये प्रसाद अउ लुगरा – मइया के किरपा से तोर घर अब भर जाही।”
घनश्याम अचंभित हो जाथे, फेर समझ जाथे – मइया डोंगरगढ़ के ओकर मन के बात सुन लीस।
🌺 भक्ति अउ मेला – सबके मिलथे आश
हर साल चैत अउ कुंवार के मेला म लाखों भक्त डोंगरगढ़ जाथें।
गीत म कहे गे –
“चैत कुंवार में मेला भराए, जगमग बरे जोगजोत”
जिहां भक्त अपन घर के दुख, चिंता, अउ कष्ट ले मुक्ति पाय बर मइया के दरसन करथें।
गाना: बमलेश्वरी तोला सुमिरव
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गायक: रामू यादव
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स्थान: डोंगरगढ़, छत्तीसगढ़
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मुख्य संदेश: सच्चा भक्ति म माता के किरपा जरूर मिलथे
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