काहे के दियना दाई | दुकालू यादव | छत्तीसगढ़ी भक्ति कथा सहित


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गीत-काहे के दियाना दाई

गायक-दुकालू यादव

संगीत-दुकालू यादव

निर्माता -लखी सुंदरानी 

निर्देशक- मोहन sundrani

Website Owner- के के पंचारे

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काहे के दियना दाई

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पद -1


काहे के दियना दाई काहे के बाती ओ 


जगमग जगमग नव दिन जले


जगमग जगमग नव दिन जले


काहे के दियना दाई काहे के बाती ओ 


जगमग जगमग नव दिन जले


जगमग जगमग नव दिन जले


माटी के दियना दाई पोनी के बाती ओ 


जगमग जगमग नव दिन जले


जगमग जगमग नव दिन जले


माटी के दियना दाई पोनी के बाती ओ 


जगमग जगमग नव दिन जले


जगमग जगमग नव दिन जले


पद -2


कौन बनावे  दियना कौन हा बाती ओ 


जगमग जगमग नव दिन जले


जगमग जगमग नव दिन जले


कौन बनावे  दियना कौन हा बाती ओ 


जगमग जगमग नव दिन जले


जगमग जगमग नव दिन जले


कुम्हार बनाये दियना पटवा हा बाती ओ 


जगमग जगमग नव दिन जले


जगमग जगमग नव दिन जले


कुम्हार बनाये दियना पटवा हा बाती ओ 


जगमग जगमग नव दिन जले


जगमग जगमग नव दिन जले


पद -3


कौन महीना दाई केदिन राती ओ 


जगमग जगमग नव दिन जले


जगमग जगमग नव दिन जले


कौन महीना दाई केदिन राती ओ 


जगमग जगमग नव दिन जले


जगमग जगमग नव दिन जले


कुंवार महीना दाई नवदिन राती ओ 


जगमग जगमग नव दिन जले


जगमग जगमग नव दिन जले


कुंवार महीना दाई नवदिन राती ओ 


जगमग जगमग नव दिन जले


जगमग जगमग नव दिन जले


पद -4


काकर अंगना दाई काकर भुवना ओ 


जगमग जगमग नव दिन जले


जगमग जगमग नव दिन जले


काकर अंगना दाई काकर भुवना ओ 


जगमग जगमग नव दिन जले


जगमग जगमग नव दिन जले


बूढ़ी दाई के अंगना दाई बूढ़ा देव के भुवना ओ 


जगमग जगमग नव दिन जले


जगमग जगमग नव दिन जले


बूढ़ी दाई के अंगना दाई बूढ़ा देव के भुवना ओ 


जगमग जगमग नव दिन जले


जगमग जगमग नव दिन जले

🔥 काहे के दियना दाई | दुकालू यादव | छत्तीसगढ़ी भक्ति कथा सहित

🎤 गायक: दुकालू यादव
🎼 संगीत: दुकालू यादव
🎬 निर्देशक: मोहन सुंदरानी
🎥 निर्माता: लखी सुंदरानी
🌐 वेबसाइट: www.cgjaslyrics.com
🧑‍💼 वेबसाइट ऑनर: के के पंचारे


🌺 गीत के अर्थ (भावार्थ – Chhattisgarhi Ma)

मुखड़ा:

"काहे के दियना दाई, काहे के बाती ओ..."
= मइया, ये दीया काबर जलत हे? बाती काबर बनाय गे हे? उत्तर मं कहे जात हे – नवरात्र के नव दिन खातिर, जिहां उजास, श्रद्धा अउ शक्ति के आराधना होथे।

पद - 1:

माटी के दीया अउ पोनी (कपास) के बाती – ये प्रतीक हे साधना अउ धरती माटी ले बने श्रद्धा के। दीया छोटे दिखथे, पर जउन उजास देथे, ओह समर्पण के चिन्ह हे।

पद - 2:

कुम्हार बनाथे दीया, पटवा बनाथे बाती – जन जन के श्रम अउ सेवा मिलके माता के पूजा मं समर्पित होथे। जइसने कुम्हार अउ पटवा अपन योगदान देथें, ओहीसे समाज के हर वर्ग माता के सेवा मं जुड़थे।

पद - 3:

कुंवार महीना – नव दिन रती – या नवरात्र पर्व के संकेत हे, जिहां दिन-रात माता के जोत जलथे। कुंवार महीना शक्ति पूजा के समय हे, जब देवी के नौ रूप मं आराधना होथे।

पद - 4:

बूढ़ी दाई के अंगना, बूढ़ा देव के भुवना – माता के पूजा के उजास समाज के हर कोना मं फैलथे – बूढ़ा-भुतिहा, धनिक-निर्धन, घर-आंगन – सब झन मं माता एक समान विराजमान हे।


 कथा: “दीया के उजास मं माता के अंश”

छत्तीसगढ़ के एक छोटे गांव 'भुइयांटोली' मं नवरात्र के दिन सुरु होए रिहिस। गांव के हर घर मं मिट्टी के दीया सजाये गे रिहिन, पोनी के बाती बनाके मइया बर जोत जलाय जावत रिहिस।

गांव के बूढ़ी दाई – जेन अपन जिनगी भर गरीबी मं बिताइस – वो अपन अंगना मं एक छोटका दीया जलाइस। ओ दीया ना महंगा रिहिस, ना गहना जइसन चमकदार – पर ओमा ओ दाई के आस्था रिहिस, मया रिहिस, निहुराये सेवा रिहिस।

एक रात माता के दर्शन दाई के सपना मं होईस। मइया कहिन –
"दियना के मोल मं नइ, भावना मं शक्ति हे। तोर छोट दीया मं जो मया हे, ओही मं मोर रूप हे।"

दाई जाग के रोइस अउ समझ गे –
👉 माता ओखर दीया ले उजियार करिन, जेन उजास दूसर के घर तक पहुंचाय लागिस।

धीरे-धीरे गांव मं बात फैलिस –
"बूढ़ी दाई के दीया जल गे हे, बूढ़ा देव के भुवना उजियार होगे हे।"
अब नवरात्र मं हर घर मं दीया नइ, भावना जलथे। जिहां भावना होथे, तहां मइया के वास होथे।


 



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