तोला सुमर सुमर झुमरव | ईश्वर साहू | छत्तीसगढ़ी भक्ति कथा और गीत अर्थ
तोला सुमर सुमर झुमरव
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गीत-तोला सुमर सुमर झूमरव
गायक-ईश्वर साहू
गीतकार-कल्लू दास
वेबसाइट ऑनर- केके पंचारे
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मुखड़ा
तोला सुमर सुमर झुमरव तोला झुमर झुमर सुमिरव तोला
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झुमरव तोला झुमर झुमर सुमिरव तोला
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झुमरव तोला झुमर झुमर सुमिरव तोला
तोला सुमर सुमर
गीत का भावार्थ (Meaning in Chhattisgarhi)
मुखड़ा:
"तोला सुमर सुमर झुमरव" कहिथे भक्त - हे महामाई! तोला बारंबार सुमिरत हंव, तोर भक्ति मा झूम झूम के तोला सुमिरत हंव। दुख ले मैं बाहर होथंव, मया दाई के नाम ले मोर जीवन सुधरत हे।
अंतरा 1:
जब तोला सुमिरथंव, मोर अंतस भीतरी झांझ-मजीरा बाजे ला लागथे। मन के लागुरवा मगन होके नाचथे, जइसे महाबीर ह नाचथे। तोर चरितर के सुरता करके, मैं झूम झूम के तोला सुमिरथंव।
अंतरा 2:
जब मैं तोला सुमिरथंव, तब मोर बीसों इंद्री तोर मया म लहर मारथे। तोर आशीर्वाद कस झकोरा मारे लगथे, जइसे सातो सागर एक संगे उठथे। हरियर-फरियर होगे मई हर – सुख-समृद्धि ल पाय हंव।
अंतरा 3:
छत्तीसगढ़ी भक्ति कथा: "तोला सुमर सुमर झुमरव"
छत्तीसगढ़ के उत्तर म बसे एक सुग्घर गांव के नाव रहिस – दरसिया. ए गांव म हर साल बड़ जोर-शोर से देवी मइया के पूजा होथे। ओतकेच नहीं, इहां एक भक्त रहिथे – कल्लू दास, जऊन अपन सच्ची भक्ति ले गांव के मन म मइया के मया भर दिहिस।
कल्लू दास के जीवन बड़े कठिन रिहिस। गरीबी, बीमारी अउ अकेलापन ओकर रोज के संगवारी बन गे रहिस। घर म कोई नइ, जिनगी म सहारा नइ। फेर एक चीज ओला बांधे रिहिस – वो रहिस मइया के भक्ति। हर बिहान ओ ह उठ के एके भजन गाथे –
“तोला सुमर सुमर झुमरव, तोला झुमर झुमर सुमिरव तोला।”
ए गीत म एक जीवित भरोसा रहिस। जैसे-जैसे कल्लू दास के उमर बढ़े, मइया के ऊपर ओकर आस्था घलो गहरात गे।
🌸 भक्ति के संग संघर्ष🌸
एक दिन गांव म बड़ अकाल पर गे। न खेत म पानी, न घर म अनाज। गांव के मनखे परेसान रहिन। फेर कल्लू दास अपन झोली म मंजीरा भरके मंदिर पहुँच गिस। ओतका भर कहिस –
"दुख ले मैं उबेरव, तोला सुमर सुमर झुमरव..."
अउ चमत्कार होइस! दू दिन म गांव म घटा छा गे, पानी गिरे लगिस, खेत हरियाना लगिन। गांव वाले समझ गइन – मइया हर कल्लू के सच्चा सुमिरन सुन लिस।
🕊️ भजन म बसा हे मइया
कल्लू दास जब गीत गाथे, ओकर अंतस भीतरी बाजे झांझ-मजीरा कस गूंजथे। ओ ह कहिथे –
“तोला सुमिरव अंतस भीतरी बाजे झांझ मजीरा
मन के लागुरवा नाचे मगन, जइसे नाचे महाबीरा”
भजन सुन के जउन मनखे रोवत आथे, वो हर झूम के मइया के नाम म खो जाथे। कल्लू के भजन गांव म मइया के दरबार बन गे रहिस।
🌿 बीस इंद्री म मइया के बास
कल्लू एक दिन कहिथे –
"यहो ओ घरी बस म रहे नई माता मोरो ये बीसो इंद्री"
माने, मइया ओकर देह के हर अंग म बस गेय हे। तोर भक्ति, तोर सुरता ले ओकर सरीर, मन अउ आत्मा पवित्र हो जाथे।
मइया के किरपा एतके गजब के रहिस के कल्लू जइसे सादा मनखे ला घलो मसीहा बना दिहिस।
🙏 सगरी पार उतरव – भक्त के मंजिल
कल्लू अब गांव-गांव घूमके भजन गाथे। वो ह कहिथे –
"यहो सगरी पार उतरव तोर माता मै हर दरसन पायेव"
ओकर मन म एके इच्छा – मइया के साक्षात दरसन। एक दिन, शीतला मंडली संग, वो ह बमलेश्वरी मंदिर जाथे। जिहां मइया के दर्शन करत, ओ ह कहिथे –
"हाथ जोड़ कल्लू दास गुरु प्रेम से माथ नावव"
ए दिन ले कल्लू के जिनगी बदले लगिस। मइया के दर्शन ले ओ ह नवा जोश, नवा उमंग अउ नवा पहचान पाय।
🔥 दमकत म निकले – मइया के जोत
मंदिर म दीप जरे रहिस। कल्लू के गान म अइसन चमक रहिस के लोग कहे लगिन –
"दमकत मै निकलव, दमकत मै निकलव"
माने, मइया के जोत जइसे ओहर दमकत रहिस। कल्लू अब गांव म नइ, बलुक पूरा अंचल म प्रसिद्ध हो गे। ओकर गीत "तोला सुमर सुमर झुमरव" हर गली-गली गूंजे लगिस।
🌈 शीतला मंडली – भक्ति के रथ
कल्लू अब अकेला नइ रिहिस। शीतला मंडली संग हर जागरण, हर मेला म ओहर शामिल होथे। मंडली के संग सुर मिलाके, वो कहिथे –
"शीतला मंडली तोर जस गाके, झुमरव तोला झुमर झुमर सुमिरव तोला"
भक्ति म झूमना – येही कल्लू के जीवन के सार रहिस।
🪔 भक्ति ले भरल गांव
कल्लू के गीत ले गांव के हर मनखे म आस्था जागे लगिस। अब बेरा बदल गे रहिस। घलो मनखे रोज मइया के मंदिर म एकठा होके कहे लगिन –
"दाई, मैं घुमिरव, तोला सुमिरव..."
गांव म भक्ति के माहौल बन गे। हर घर म मइया के दीप, हर घर म भजन के सुर।
📿संदेश:-
"तोला सुमर सुमर झुमरव" गीत सिर्फ भजन नइ, ए एक संदेश आय –
“सच्ची भक्ति अउ तोर सुमिरन ले जीवन बदल सकथे।”
जे अपन दुख-दर्द म मइया ला सुमरथे, ओहर हर परिस्थिति ले पार होथे। गीतकार कल्लू दास के ये रचना, छत्तीसगढ़ के भक्ति परंपरा के अनमोल धरोहर आय।
निष्कर्ष (Conclusion):-
कल्लू दास एक सामान्य मनखे रहिस, फेर ओकर भक्ति असामान्य रहिस। ओ ह अपन दुख म मइया ला सुमिरे, अउ ओही सुमिरन ओकर रक्षा करे। आजो, जब "तोला सुमर सुमर झुमरव" गीत बजे, तब मइया के जोत म एक नई आस के किरण चमकथे।
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