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राम नाम की महिमा को विवेचना और गुणगान किया जाता है क्योंकि यह नाम हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण है। "राम" नाम हिंदू धर्म के प्रमुख देवता भगवान राम को संदर्भित करता है, जो धर्म के प्रतीक माने जाते हैं।
राम नाम की महिमा को कई धार्मिक ग्रंथों, जैसे कि रामायण, महाभारत, भगवद् गीता आदि में व्याख्यानित किया गया है। इस नाम का उच्चारण और ध्यान धर्मिक साधना का एक महत्वपूर्ण अंग है। राम नाम के जप से मन को शांति, आत्मा को प्रशांति, और जीवन को समृद्धि मिलती है। इसके अलावा, राम नाम की शक्ति को साधकों ने अनेक साधना और तप के माध्यम से अनुभव किया है।
रामायण में भगवान राम के धर्म, नैतिकता, और धर्म के प्रति समर्पण की गाथाएं सुनाई जाती हैं, जिससे राम नाम का महत्व और महिमा स्पष्ट होती है। उनके जीवन और उनके विचार धर्म, न्याय, और परमात्मा के प्रति श्रद्धा के लिए एक महान उदाहरण प्रस्तुत करते हैं। इसलिए, राम नाम की महिमा और उसकी भक्ति को हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता
रावण एक प्राचीन राक्षस राजा थे, जो लंका के राजा थे। उन्हें ब्रह्मा के वरदान से अमरत्व मिला था, जिससे वे अमर हो गए थे। हालांकि, रावण का भयानक अभिमान और अत्यधिक अधर्मपरायण व्यवहार उन्हें बुरी तरह से प्रसिद्ध कर दिया।
रावण की कथा मुख्य रूप से रामायण के उस भाग में है, जो राम के द्वारा रावण के वध को समर्पित है। रामायण के अनुसार, रावण ने सीता को हरण कर लिया और उसे लंका में अपने अशोक वन में बंद किया। इसके परिणामस्वरूप, राम, अपने भाई लक्ष्मण और वानर सेना के साथ लंका का विनाश करने के लिए रवाना होते हैं। युद्ध के बाद, राम रावण को वध करते हैं और सीता को मुक्ति देते हैं।
राम की कथा, भारतीय संस्कृति और धर्म का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो अत्यंत प्रसिद्ध है। राम की कथा मुख्य रूप से वाल्मीकि जी के द्वारा रचित "रामायण" महाकाव्य में प्रस्तुत की गई है।
रामायण की कथा भगवान विष्णु के एक अवतार, भगवान राम के जीवन को वर्णित करती है। रामायण में राम के जीवन के विभिन्न पहलुओं को अनेक किस्सों और उपकथाओं के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है।
कथा की शुरुआत अयोध्या में होती है, जहां राजा दशरथ राम को अपना उत्तराधिकारी घोषित करते हैं, परंतु उनकी कोई राज्य की पत्नी कैकेयी राम के वनवास की माँग करती है। राम, सीता, और लक्ष्मण वनवास में चले जाते हैं, जहां वे विभिन्न चुनौतियों का सामना करते हैं, जैसे कि रावण के संग्रहरत्नी धनुष का निर्माण, सीता का हरण, और लंका के धर्मराज रावण का वध।
रामायण की कथा में राम का वध्य पराक्रम, धर्म के प्रति समर्पण, परम आदर्श पतिव्रता का प्रतीक सीता, और भक्ति का उत्कृष्ट उदाहरण है। इसके अलावा, रामायण में धर्म, नीति, और शिक्षा के अनेक सिद्धांतों को भी प्रस्तुत किया गया है। रामायण की कथा हमें जीवन के मूल्यों की महत्वपूर्णता को समझाती है और हमें सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा प्रदान करती है।
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राम राम के बेरा म
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राम राम के बेरा म बोले चिरईया काजी - 2
बोले चिरईया काजी हो माया बोले चिरईया काजी
राम राम के बेरा म बोले चिरईया काजी - 2
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अंतरा -1
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डाल म बइठे सुवा दु जोड़ा
कोरस - सोन चिरईया सुवा दु जोड़ा
यहो इकर बीच सिया बनगे रोड़ा
कोरस -सोन चिरईया सुवा दु जोड़ा
अपन जनम नई बनय रोड़ा
कोरस -सोन चिरईया सुवा दु जोड़ा
देखे दुःख जोड़ी ल छोड़ा
कोरस -सोन चिरईया सुवा दु जोड़ा
उड़ान - " यहो सुन सुन सुना कहिके -२
जब रन कराये राजी
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अंतरा -2
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सीता राम के अमर कहानी
कोरस -सोन चिरईया सुवा दु जोड़ा
यहो कहे सुने पंछी वेद पुराणी
कोरस -सोन चिरईया सुवा दु जोड़ा
काटत हसी ख़ुशी जिनगानी
कोरस -सोन चिरईया सुवा दु जोड़ा
सहीके जाड़ शीत घाम पानी
कोरस -सोन चिरईया सुवा दु जोड़ा
उड़ान - " यहो पबरित पावन कथा कहे -२
दूसर हुंकारू देहा जी
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अंतरा -3
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अलग बिलग म इंद्री कलपथे
कोरस -सोन चिरईया सुवा दु जोड़ा
यहो अमल रहे सुख दुःख म मरथे
कोरस -सोन चिरईया सुवा दु जोड़ा
शोक म सुख घलो चले बसते
कोरस -सोन चिरईया सुवा दु जोड़ा
एकर जानकी ल हाय लगथे
कोरस -सोन चिरईया सुवा दु जोड़ा
उड़ान - " यहो थिया गे राजा ग तभे -२
मारे काबर भांजी
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अंतरा -4
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जुलुम लगाके जिव अउ जियँ दे
सोन चिरईया सुवा दु जोड़ा
यहो मरे के पहली अइसे जतन दे
सोन चिरईया सुवा दु जोड़ा
लख चौरासी ल चैन अमन दे
सोन चिरईया सुवा दु जोड़ा
बघधर्रा सेवा भाव भजन दे
सोन चिरईया सुवा दु जोड़ा
उड़ान - " यहो जीते जियत भरत सरवन -२
मारले हँसा बाजी
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