▶ गीत - कहां तोर माता तोर अनमन जनमन ▶गायक - सुखऊ राम केंवट ▶गीत लेवल - पारम्परिक माता सेवा गीत ▶cgjaslyrics
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▶ गीत - कहां तोर माता तोर अनमन जनमन
▶गायक - सुखऊ राम केंवट
▶गीत लेवल - पारम्परिक माता सेवा गीत
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कहां तो माता तोर अनमन जनमन कहवा लिए अवतारे -२
हिंगुलाज तोर अनमन जनमन मानिकपुरी म अवतारे -२
औ हिंगुलाज चन्दन एक बिरछा जेकर पलंग बिछाए -२
अउ पलंग छोड़ पलकी म बइठे देश रतनपुर आये -२
उड़ान -"अउ मंझवा गली म मटकी छावाके
घर घर बरुआ ओ बिहाये ओ माता घर घर बरुआ ओ
बिहाये ओ माता घर घर बरुआ ओ "
जनलेखा ओ माता दियना जलत हे
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अंतरा -१
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काहे कर दियना काहेन लागे बाती ,
काहे कर तेल जले वो सारी राति
सोन कर दियना कपूर लागे बाती ,
सुरहिन के घीव म जले वो सारी राती
ऐ तो भुवन म वो अनलेखा वो माता दियना जलत हे हां
अनलेखा वो माता दियना जलत हे हां
▶cgjaslyrics
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अंतरा -२
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ऐ कोने तोर दीया जलाये भुवन कोन तोर वेद सुनाये
लँगूरे दीया जलाये भुवन म ब्रम्हा वेद सुनाये
ऐ तो भुवन म वो अनलेखा वो माता दियना जलत हे हां
अनलेखा वो माता दियना जलत हे हां
ऐ माघ महीना मेला भरावे आवत हे सब नर नारी -२
ऐ नारियल लुगरा चुनरी धरके खड़े हे तोर दुआरी -२
उड़ान -"ऐ छीनी तो अंगुरिया के हो दरश देजा माता
छीनी तो अंगुरिया के हो दरश देजा माता
छीनी तो अंगुरिया के हो
ऐ तोर दरश बर सब कोई आवय कोन शहर कोन गवई -२
ऐ भारत देश म परसिद्ध हस माता भारत देश म हाँ
परसिद्ध हस माता भारत देश म हाँ
देवी की महिमा के अनेक कथाएँ और पौराणिक ग्रंथों में उनके बचाव, पालन और संहार की कथाएं हैं। देवी माँ को शक्ति की प्रतिष्ठा माना जाता है, जो सभी संदेहों और कठिनाइयों को दूर करने की क्षमता रखती हैं। उन्हें भक्ति और पूजा के माध्यम से प्रसन्न करने का माना जाता है और उनसे शक्ति, सुख, और समृद्धि की प्राप्ति की जाती है।
हिंदू धर्म में, देवी की स्थापना का मूल अर्थ उनकी उपासना और पूजा का आरंभ है, जो प्राचीन काल से होता आया है। देवी की स्थापना के विभिन्न कथाओं और पौराणिक ग्रंथों में अलग-अलग वर्णन होते हैं, लेकिन एक सामान्य मान्यता यह है कि देवी की स्थापना महादेव (भगवान शिव) और प्रकृति (शक्ति) के एक संयोग से हुई।
एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार, एक बार जब असुरों (राक्षस) का संकट पृथ्वी को आया, तो देवताओं ने ब्रह्मा, विष्णु, और महेश (शिव) को इस समस्या का समाधान ढूंढने के लिए बुलाया। त्रिमूर्ति ने मिलकर ब्रह्मा की सलाह पर एक अद्वितीय शक्ति का सृष्टि किया, जिसे देवी कहा गया। इस शक्ति को उन्होंने सब देवताओं के साथ मिलकर विजय प्राप्त करने के लिए भेजा। देवी ने असुरों के साथ युद्ध किया और उन्हें पराजित किया।
इस रूप में, देवी की स्थापना महादेव और प्रकृति के एक संयोग से हुई, जिसका महत्वपूर्ण स्थान हिंदू धर्म में है। इस प्रकार, देवी को स्थान प्राप्त हुआ और उनकी पूजा और उपासना धार्मिक और सामाजिक परंपरा का अहम हिस्सा बन गई।
वैष्णो देवी: मातारानी का प्रसिद्ध मंदिर वैष्णो देवी मंदिर, जो जम्मू-कश्मीर में स्थित है। यहां माता वैष्णो देवी की पूजा की जाती है और लाखों भक्त इस मंदिर को दर्शन के लिए आते हैं।
कालीघाट मंदिर: कोलकाता, पश्चिम बंगाल, भारत में स्थित कालीघाट मंदिर में भगवती काली का मंदिर है, जो एक प्रमुख मां दुर्गा की अवतार मानी जाती है।
कामाख्या मंदिर: असम, भारत में स्थित कामाख्या मंदिर में माता कामाख्या की पूजा की जाती है। यह मंदिर तंत्रिक परंपरा के लिए भी प्रसिद्ध है।
नारायणी पीठ: बिराटनगर, नेपाल में स्थित नारायणी पीठ में भगवती नारायणी की पूजा की जाती है। यह मंदिर नेपाल में मातारानी का एक प्रमुख शक्तिपीठ है।
चमुंडेश्वरी मंदिर: हिमाचल प्रदेश, भारत में स्थित चमुंडेश्वरी मंदिर में माता चमुंडेश्वरी की पूजा की जाती है। यहां भक्त चढ़ावा लाकर देवी को प्रसन्न करते हैं।
ये केवल कुछ प्रमुख स्थान हैं, जहां मातारानी के मंदिर स्थित हैं। उनके निवास की विविधता को देखते हुए कहा जा सकता है कि वे अनेक स्थानों में अपना निवास स्थापित करती हैं और भक्तों को आशीर्वाद देती हैं।
नवदुर्गा, या नवरात्रि के दौरान नौ दिव्य रूपों में प्रकट होने वाली मां दुर्गा की विशेष अवतार हैं। नवदुर्गा के रूपों में माँ के शक्ति की विभिन्न अभिव्यक्तियाँ होती हैं। ये रूप हैं:
- शैलपुत्री: इस रूप में माँ दुर्गा को शैलों की रानी के रूप में पूजा जाता है।
- ब्रह्मचारिणी: इस रूप में माँ दुर्गा को ब्रह्मचारिणी के रूप में पूजा जाता है, जो तपस्या और ध्यान में लीन होती हैं।
- चंद्रघंटा: इस रूप में माँ दुर्गा को चंद्रकोर के समान पूजा जाता है।
- कूष्माण्डा: इस रूप में माँ दुर्गा को सृष्टि की रचनाकार के रूप में पूजा जाता है।
- स्कंदमाता: इस रूप में माँ दुर्गा को स्कंद (कार्तिकेय) की माँ के रूप में पूजा जाता है।
- कात्यायनी: इस रूप में माँ दुर्गा को महिषासुर के वध के लिए पूजा जाता है।
- कालरात्रि: इस रूप में माँ दुर्गा को काली माँ के रूप में पूजा जाता
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