जस लिरिक्स-तीनो जुग म तैहा आये ओ स्वर -मनहरण साहू गीतकार -परमानन्द कठोलिया ,cgjaslyrics



जस लिरिक्स - तीनो जुग म तैहा आये ओ 

स्वर -मनहरण साहू 

गीतकार -परमानन्द कठोलिया 

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मुखड़ा 

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तीनो जुग म तैहा आये ओ...ओ 

तै मया बगराये 

हो ---वो 

तै मया बगराये 

उड़ान - " जुग जुग  म तै  कीर्ति  कमाये " -२ 

शक्ति अपन देखाये 

तै मया बगराये 

हो ---वो

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अंतरा - १ 

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सतयुग म परबतिया भवानी ,करि तन सहुराये -२ 

महादेव ल दूध पियाके ,कोरा म अपन खिलाये -२ 

उड़ान -" धन धन हे तोर माता निरंजनी "-२ 

माया -----दुलार , पुराये 

तै मया बगराये 

हो ---वो

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अंतरा - २

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द्वापरजुग  दुरपत के बेटी  तिही  कहाये -२ 

सब देवता तोर पूजा करे  चख खाये -२ 

उड़ान -" पांचो  पांडव के आँखि उघरगे   "-२ 

कौरव नाश कराये

तै मया बगराये 

हो ---वो 

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अंतरा -३ 

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त्रेता जुग में मुनि रटत ले   सीता जनम  पाये  -२ 

वेद वती के शराप उतरगे रावण  वंश सिराये  -२ 

उड़ान -" राम राज के शोर हा उड़गे   "-२ 

सत के गंगा बोहाये

तै मया बगराये 

हो ---वो 

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अंतरा -४  

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कल  जुग म तै  माटी  के दुर्गा रूप म पाये   -२ 

नर नारी तोर वरत करके अखंड जोत  जलाये   -२ 

उड़ान -" परमानन्द कठोलिया अर्पण    "-२ 

सर्वंश भेंट  चघाये 

तै मया बगराये 

हो ---वो 

तै मया बगराये 

हो ---वो 

उड़ान - " जुग जुग  म तै  कीर्ति  कमाये " -२ 

शक्ति अपन देखाये 

तै मया बगराये 

हो ---वो 

ये गीत के कथा ल नीचे छत्तीसगढ़ी में दे हावे -आगे पढव👇

 कथा के आरंभ:-

तीनों जुग म, सतयुग ले लके आज के कलियुग तक, एके शक्ति बार-बार अवतार धरके धरती म आये हे – उही आय मईया दुर्गा, जेन ह अपन मया, करुणा अउ शक्ति ले संसार के रक्षा करे हे।

छत्तीसगढ़ म जब दाई जस गीत गाये जाथे, तब ए गीत – "तीनो जुग म तैहा आये ओ, तै मया बगराये" – गजब के भक्ति अउ झनझनाहट ला जगा देथे।

सतयुग के कथा – पार्वती मइया

सतयुग म, जब संसार म धर्म के उन्नति रिहीस, तब माता पार्वती के रूप म मइया धरती म आये रहिन। उंकर जनम हिमालय राज के घर म होइस।

मइया पार्वती अपन भक्ति ले महादेव ल पति रूप म पायेन। कहे जाथे:

“महादेव ल दूध पियाके, कोरा म अपन खिलाये।”

मइया ह शिवजी के सेवा, त्याग अउ प्रेम के मिसाल बने रहिन। सतयुग म मइया के ममता अउ संघर्ष ल देख के देवता घलो अचंभित होगे।

सतयुग म माता के रूप म ममता बगरावत, उंकर नाम निरंजनी के रूप म गूंजत रहिस।

द्वापरयुग – द्रौपदी मइया के रूप म

द्वापरजुग म, द्रुपद राज के घर म एक बेटी जनम लिस – द्रौपदी। ए बेटी केवल एक मनखे के रूप म नहीं, बल्कि देवी के अंश रिहीस।

जब कौरव मन सभा म द्रौपदी के अपमान करे लगिन, तब मइया ह अनंत साड़ी के रूप म प्रकट होके अपन भक्ति के लाज रखिस।

"पांचो पांडव के आंखि उघरगे, कौरव नाश कराये।"

ए घटना के पाछू महाभारत के युद्ध होइस। माता द्रौपदी के रूप म धर्म के रक्षा करिन।

त्रेतायुग – सीता मइया के रूप म

त्रेतायुग म माता के सीता रूप म अवतरण होइस। मुनि अउ ऋषि मन ल बरसों ले जेन देवी के आवाहन करत रहिन, वो माता वेदवती के रूप म रावण ल श्राप देवाय रहिन।

"त्रेता जुग म मुनि रटत ले, सीता जनम पाये।"

मइया सीता रावण के अहंकार ल झुकाय, अउ रामराज्य के स्थापना म प्रमुख भूमिका निभाइन।

"रामराज के शोर हा उड़गे, सत के गंगा बोहाये।"

त्रेता म माता के त्याग, सहनशीलता अउ ममता ह संसार ला धर्म के राह दिखाइस।

कलियुग – माटी के दुर्गा रूप म

अब बात करन कलियुग के – ए जुग म अधर्म, पाप, स्वार्थ, क्रोध, हिंसा बढ़ गे हवय। ए जुग म माता दुर्गा माटी के रूप म हर गांव, घर, चौक-चौराहा म विराजत हवंय।

"कल जुग म तै माटी के दुर्गा रूप म पाये।"

नर-नारी सब वरत करथें, अखंड जोत जलाथें अउ श्रद्धा ले पूजा करथें।

मइया दुर्गा आज घलो अपन श्रद्धालु भक्त मन बर वरदान देवत हवंय। गांव-गांव म जस गीत, भजन अउ पूजा म माता के महिमा गाथा होथे।

कथा के सार – मया बगराये वाली मइया

चारों युग म एके बात सिद्ध होथे – मइया जब जब धरती म संकट देखथें, तब तब अवतार धरके आवथें। चाहे उ रावण हो, चाहे दुर्योधन, चाहे काल के प्रभाव – माता अपन शक्ति देखाके, अधर्म ल नाश करथें।

ए गीत के हर लाइन म – "तै मया बगराये हो — वो", उंकर ममता, करुणा अउ भक्त-रक्षक रूप झलकथे

आखरी पंक्ति

जुग बदलिस, समय बदलिस, समाज बदलिस – फेर मइया के मया म कऊनो बदलाव नहीं आय। मइया ह सदा से मया बगरावत आथें, अउ अऊ मनखे ल धर्म के रस्ता देखावत रहिथें।







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