तोला दुर्गा कहौं की माँ काली
गीत -तोला दुर्गा कहव की माँ काली
गायिका -शर्मीला विश्वास
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वेबसाइट ऑनर -के के पंचारे
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अंतरा -1
चन्द्रपुर म चन्द्रसेनी कहाऐ तय
रायगढ़ मा बूढ़ी माई ओ
कोरस - जय माता दी... जय मां,
जय माता दी...
हो चन्द्रपुर म चन्द्रसेनी कहाऐ तय
रायगढ़ मा बूढ़ी माई ओ
घोघरा नरवा मा बइठे हस काली बन के,
हरदी के गौटिन दाई ओ
सारंगढ़ म तय समलाई
डोलसरा के तय बंजारी
ओ माँ भवानी
का मैं चढ़ावव तोला दर्शन दे माता मोला
का मैं चढ़ावव तोला दर्शन दे ओ
का मैं चढ़ावव तोला दर्शन दे माता मोला
का मैं चढ़ावव तोला दर्शन दे ओ
अंतरा-2
तोरे लइका दाई रोवत हव तोर बर
तोर बिना मैं उदास हव
कोरस - जय माता दी... जय मां,
जय माता दी...
हो... तोरे लइका दाई रोवत हव तोर बर
तोर बिना मैं उदास हव
बिनती सुन ले माता सुन ले गोहार ओ
राख ले अचरा के छांव तोर
तोर बिना ये मोर जिनगानी
जईसे सावन होथे बिन पानी
ओ माता रानी
का मैं चढ़ावव तोला दर्शन दे माता मोला
का मैं चढ़ावव तोला दर्शन दे ओ
का मैं चढ़ावव तोला दर्शन दे माता मोला
का मैं चढ़ावव तोला दर्शन दे ओ
अंतरा-3
देखथव चारो ओर डाहर नई दिखे तोर
कहा लुकागे महामाई तय
कोरस - जय माता दी... जय मां,
जय माता दी...
हो देखथव चारो ओर डाहर नई दिखे तोर
कहा लुकागे महामाई तय
आंसू बरस दाई चोला तरसगे ओ
कईसे पीर सुनावव मैं
मोर नैना के प्यास बुझा दे
तोरे दर्शन बिना नई बाचव
बचाले दाई...
कइसे बुलावव तोला दर्शन दे माता मोला
कइसे बुलावव तोला दर्शन दे ओ
कइसे बुलावव तोला दर्शन दे माता मोला
कइसे बुलावव तोला दर्शन दे ओ
तोला दुर्गा कहौं की माँ काली
चारो धाम म तोरे हे पुजारी
ओ माता रानी....
का मैं चढ़ावव तोला दर्शन दे माता मोला
का मैं चढ़ावव तोला दर्शन दे ओ
कइसे बुलावव तोला दर्शन दे माता मोला
कइसे बुलावव तोला दर्शन दे ओ
का मैं चढ़ावव तोला दर्शन दे माता मोला
का मैं चढ़ावव तोला दर्शन दे ओ
कइसे बुलावव तोला दर्शन दे माता मोला
कइसे बुलावव तोला दर्शन दे ओ
🌸 गीत का भावार्थ और संदेश (छत्तीसगढ़ी में):
यह गीत एक भक्त की व्याकुल पुकार है, जेन अपन दुख, आस, और श्रद्धा के संग माता रानी ला मनावत हे। गीत मा बताय गे हे:
🔹 1. माता के अनेक रूप – एक ही शक्ति
"तोला दुर्गा कहौं की माँ काली" –
याने, चाहे मां दुर्गा कहो या मां काली, तू एके शक्ति हस।
गीत में अलग-अलग स्थान म पूजित रूप:
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चंद्रपुर म चंद्रसेनी
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रायगढ़ म बूढ़ी माई
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सारंगढ़ म समलाई
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डोलसरा म बंजारी
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घोघरा नरवा म काली
👉 संदेश: माता एके हे, रूप अनेक – सब जगह एके शक्ति के वास हे।
🔹 2. भक्त के पीड़ा अउ विनती
"का मैं चढ़ावव तोला, दर्शन दे माता मोला"
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भक्त पूछत हे – का मंय तोला चढ़ावा चढ़ावं तब तोर दर्शन मिलही?
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मोर झोली खाली हे, फेर मन भक्ति ले भर गे हे।
👉 संदेश: सच्चा प्रेम अउ भक्ति ले माता जरूर दरसन देथे।
🔹 3. भावनात्मक गुहार
"तोरे लइका दाई रोवत हव तोर बर, तोर बिना मैं उदास हव"
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भक्त माता ला कहत हे – तोर बिना मोर जीवन अधूरा हे, जैसे सावन बिन पानी।
👉 संदेश: माता के बिना भक्त अधूरा हे, अऊ ओ हर संकट मा तोर शरण मा आवत हे।
🔹 4. आंतरिक पीड़ा अउ भक्ति के आंसू
"देखथव चारो ओर डाहर नई दिखे तोर, कहा लुकागे महामाई तय"
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भक्त पूछथे – माता! कंहा लुक गे हस? मोर दुख ला देख, दर्शन दे।
👉 संदेश: जब जीवन म अंधकार हो, तब माता से प्रार्थना करो – ओ अवश्य प्रकट होती है।
कथा और संदेश (छत्तीसगढ़ी में):
"तोला दुर्गा कहौं की माँ काली" एक भावुक छत्तीसगढ़ी जस गीत आय, जऊन मां भवानी के अलग-अलग रूप ल स्मरण करथे। ये गीत म गायकन (शर्मीला विश्वास) के मन म मइया बर गजब के पीरा अउ लगाव दिखथे।
🔸 मइया के नाम के महिमा
गीत म माता दुर्गा, काली, चन्द्रसेनी, बूढ़ी माई, समलाई अउ बंजारी के नाम ल अलग-अलग धाम ले जोड़ के गाया गे हवय, जेमा देखाय गे हे के छत्तीसगढ़ के हर कोना म माता के एक रूप बसथे।
🔸 भक्त के वेदना अउ बिनती
भक्त कहिथे – “का मैं चढ़ावंव तोला दर्शन दे, माता मोला?”
ए बात म एक गरीब, पीड़ित भक्त के मन के पुकार हे, जऊन अपन दुःख-दर्द के बिसराय मइया के एक झलक बर तरसथे।
🔸 भावार्थ – अपन जीवन म माता के दरसन जरूरी
मइया के बिना भक्त के जिनगी सूना लगथे। ओ कहिथे –
“तोर बिना मोर जिनगानी, जइसे सावन बिन पानी।”
मतलब मइया के आशीर्वाद बिना सुख, समृद्धि, चैन नइ मिल सकय।
🔸 पीड़ा म मइया ल गोहारना –
गीत के मूल उद्देश्य ये हे के जब जीवन म अंधियार हो जाथे, जब दुख चारों कोती से घेर लेथे, तब मइया के नाम ले उजियारी मिलथे। भक्त कहिथे –
“कइसे बुलावंव तोला, दर्शन दे माता मोला?”
ये पंक्तियाँ दर्शाथे कि मइया ल केवल फूल-प्रसाद नइ, बल्कि दिल ले, आंखी के आँसू ले, मन के पुकार ले बुलाय जाथे।
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