गायक -कांतिकार्तिक यादव // गीतकार -कांतिकार्तिक यादव //Cgjaslyrics




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 गीत - जगत के जननी 

गायक -कांतिकार्तिक यादव 

गीतकार -कांतिकार्तिक यादव 

संगीत -ओ पी  देवांगन 

रचनात्मक निर्देशक - केदार यादव 

Cgjaslyrics

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जगत  के जननी जगतारण बर डोंगरी पहाड़ म आये हे

उड़ान - डोंगरगड़ हीन दाई बमलाई -२

धरम के नगरी बसाये हे

जगत  के जननी जगतारण बर डोंगरी पहाड़ म आये हे


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अंतरा -1

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अपन भगत ल महतारी हां अपन कोरा म खेलाथे


चैत कुआर के मेला मड़ई म करके बहाना बुलाथे


डोंगरी पहाड़ी के महारानी दुख हरनीज कहाथे


धरम ध्वजा हा सुघर आगास म चारो मुड़ा लहराथे


उड़ान -" ताल तलैया तोर भुवना मा " - 2


पुरवाही लहराए हे


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अंतरा - 2

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जगमग जोत जवारा साजे तोर किरपा के आस म


सदा सहाई हरिबे दाई भगतन के विश्वास म


नाव जपत तोर अंगना में आयेव तही समाये सास म


जिंनगी के अंधियारी छटगै किरपा के तोर परकाश म


उड़ान - " कांतिकार्तिक तोर भगती म " -2


जिंनगी के रददा पाए हे


जगत  के जननी जगतारण बर डोंगरी पहाड़ म आये हे


उड़ान - डोंगरगड़ हीन दाई बमलाई -२


धरम के नगरी बसाये हे


जगत  के जननी जगतारण बर डोंगरी पहाड़ म आये हे
















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