चलो बमलई के दुवार | छत्तीसगढ़ी भक्ति गीत | दुकालू यादव जस
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गीत- चलो बमलई के दुवार
एल्बम - देवी दुर्गा सिंगार
गायक - दुकालू यादव
गीतकार - पुरन साहू
निर्माता - रेखचंद ओसवाल
म्यूजिक लेबल - kk कैसेट
Cg JAS lyrics
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चलो बमलई के दुवार
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चलो बमलई के दुवार ये संगी मोर चलो बमलई के
दुवार-२
उड़ान-" ये दर्शन कर आबो मन के मनौती पाबो "-२
माता के दरबार...
चलो बमलई के दुवार ये संगी मोर चलो बमलई के
दुवार-२
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अंतरा -1
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आगे परब नवरात महीना ,शोभा बड़ नीक लागे-२
मया जगाइस महतारी हां, फूटहा करम हां जागेज-२
उड़ान -" यहो अंगना लगे हे मेला चढ़ाबो नरियल
भेला"-२
पाबों दाई के दुलार
Cg JAS lyrics
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अंतरा -2
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ऊपर पहाड़ी मां बड़की बमलई, खाल हे छोटकी हाबे -२
भीम गोड के चिन्हा सुग्घर , निजमल धार बिहाये -२
उड़ान - " यहो दुखिया के दुःख हरे मया सबो बर करे "
बइठे डोगरी पहाड़
चलो बमलई के दुवार ये संगी मोर चलो बमलई के
दुवार-२
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अंतरा -3
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सोन सोन के बने सिंहासन, सोनहा मुकुट हां चमके -२
गर म रुपिया कनिहा करधन,लाल बरन रुप दमके -२
उड़ान -" बोलो जय माता के नारा दाई एके हे
सहारा"
करही बेरा पार
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अंतरा -4
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रिगबिग रिगबिग जोत जवारा, डी ही डोंगर म चमके -२
यहो मोर मयारू बमलाई के मया सबों बर छलके -२
उड़ान - " दास पुरन संग होके सबों उमंग " -२
चलो गा सब ल मिलान
चलो बमलई के दुवार ये संगी मोर चलो बमलई के
दुवार-२
कहानी – चलो बमलई के दुवार (छत्तीसगढ़ी में)
लेख आधारित गीत: "चलो बमलई के दुवार"
गायक: दुकालू यादव | गीतकार: पुरन साहू | एल्बम: देवी दुर्गा सिंगार | म्यूजिक: KK कैसेट
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🌿 बमलई दाई के मया – एक भक्ति यात्रा
रात के सन्नाटा म घलो गाँव के भीतर एक अलग किसिम के हलचल रहय। परब के तइयारी चालू रहय। लोगन मन घर-आँगन बुहारे बर, फूल-तोरण सजाये बर अउ जस गीत के रियाज करे म लगे रहिन।
रामभरोस, गाँव के सबसे सजग अउ भक्त मनखे रहिस। ह हर साल नवरात्र म अपन संगी मन ला ल लेके, बमलई दाई के दुवार जाथे। ए बार घलो ओ अपन संगी-लइका मन संग ये गोठ बोले:
> “चलव संगी, चलो बमलई के दुवार। दर्शन करबो, मन के मनौती पाबो।”
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🛕 नवरात्र महीना अउ भक्ति के जोत
नवरात्र के महीना शुरू होगे। गाँव म शोभा बड़ नीक लगथे। झाड़-झरोखा, चौरा, मंदिर सब ल चुना पोतके सजाय गे।
गीत के बोल:
> "आगे परब नवरात महीना, शोभा बड़ नीक लागे..."
बमलई दाई के मंदिर के आँगन म मेला लगथे। नरियल, अगरबत्ती, लाल चुनरी, सबके डलिया म रहय। भीड़ म बूढ़ा-जवान, लइका-बच्चा सब रहिन। सबो के आँख म एके आस – “महतारी के मया मिलय, दुख-दरद म कमी आ जावय।”
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🏞️ पहाड़ी म बसे दाई के दरबार
बमलई दाई के मंदिर ऊपर पहाड़ी म बसे हे। बड़े बमलई अउ छोटे बमलई – दू रूप म महतारी के उपासना होथे।
गीत के बोल:
> "ऊपर पहाड़ी मां बड़की बमलई, खाल हे छोटकी हाबे..."
"भीम गोड के चिन्हा सुग्घर , निजमल धार बिहाये..."
ओह डोंगर म एक झरना घलो चलथे – जेन ला गाँव के लोग “दाई के जलधारा” कहिथें। मान्यता हे कि ए धार म नहाय ले तन-मन पवित्र हो जाथे।
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✨ सोना के सिंगार अउ माता के महिमा
बमलई दाई के सिंगार सोन-सोन के रहिथे। सोनहा मुकुट, रुपिया कनिहा, लाल चुनरी, अउ आंखी म काजर के घेरा – ओ महतारी के रूप देखके सबो ला अपन दुःख भूल जाथे।
गीत के बोल:
> "सोन सोन के बने सिंहासन, सोनहा मुकुट हां चमके..."
गाँव के जस गीत मंडली ओ बेरा जोर से गावत रहय:
> “बोलो जय माता के नारा, दाई एके हे सहारा...”
ओही बेरा, रामभरोस अपन माई के फोटू लेके, दाई के पाँव म धर देथे। ओ कहिथे:
> “हे दाई, मोर माई अब नई ये। अब तोरच सहारा हे।”
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🔥 जोत-जवारा अउ अंधियार म रौशनी
रात म जब रिगबिग जोत चलाय जाथे, मंदिर अउ डोंगर म सच्चे उजियारी हो जाथे। गाँव के नारी मन, हाथ म जवारा लेके जयकारा लगाथें।
गीत के बोल:
> "रिगबिग रिगबिग जोत जवारा, डी ही डोंगर म चमके..."
ओ उजियारी म सबो दीन-दुखी, भूख-पियास भूले जाथें। दाई के मया एतेक बगरथे के हर मनखे म नवा उमंग जागथे।
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👫 सबो के मिलन – भक्ति के संग
दास पुरन (गीतकार) घलो अपन भक्ति के भावना ला गीत म गढ़ दीन हे। ओ बोलथे:
> “दास पुरन संग होके सबों उमंग, चलव सब ल मिलन...”
संगीत अउ भक्ति के रंग म सब रंग गे। जस गीत के संग माँ के चरण म नाचा-गाया गे। दाई के जयघोष गूंजे:
> “जय बमलई दाई! जय मया के सागर!”
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🌺 महतारी के मया – सबो दुख हरय
गाँव म एक लोक मान्यता हे कि जे मन सच्चा मन ले बमलई दाई के दर्शन करथे, ओकर मनौती पूरा होथे।
रामभरोस के बेटी के बियाह बर मया मांगईस। दू महिना म ओकर मन के मनौती पूरा होगे। ए भक्ति यात्रा ओकर जिनगी ला फेर ले बदल डारे।
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🔚 निष्कर्ष – "चलो बमलई के दुवार"
ए कहानी एक गीत म छुपे भावनात्मक, आध्यात्मिक अउ सांस्कृतिक यात्रा ला बखूबी बखानथे। गीत म न सिरिफ भक्ति हे, बल्कि गाँव के लोक-विश्वास, परंपरा, अउ मनखे के महतारी ऊपर ठोस आस्था के बखान हे।
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