मरघहीन काली ओ | छत्तीसगढ़ी तांत्रिक भक्ति गीत |
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जस लिरिक्स - मरघहीन काली ओ
गायक -डेविड निराला
संगीत - सूरज महानंद
वेबसाइट ऑनर -के के पंचारे
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मरघहीन काली ओ
मरघहीन काली ओ मरे मुरदा ला तै जियाऐ
माता काली नई कोनो ओ-2
मरघहीन काली ओ मरे मुरदा ला तै जियाऐ
माता काली नई कोनो ओ-2
मरघहीन काली ओ मरे मुरदा ला तै जियाऐ
माता काली नई कोनो ओ-2
मरघहीन काली ओ मरे मुरदा ला तै जियाऐ
माता काली नई कोनो ओ-2
अंतरा 4
मरघहीन काली ओ मरे मुरदा ला तै जियाऐ
माता काली नई कोनो ओ-2
गीत भावार्थ (अर्थ) – छत्तीसगढ़ी में:
मुखड़ा:
"मरघहीन काली" माने मसान (श्मशान) में रहने वाली काली माता, जऊन मरे ला जियाय सकय। ये गाथा बताथे के काली माता साधारण देवी नइ हावय, उ त मरे मुरदा म जान फूंक सकय।
अंतरा 1:
काली माता मरघट (श्मशान) के सुनसान म तपस्या करथे। झूंप के, खुल्ला बाल, बगैर वस्त्र, छरियाय चूंदी, कान म बाली – ये सब ओखर तांत्रिक स्वरूप ल दिखाथे। माता के रूप डरावना जरूर दिखथे, फेर ओ शक्ति के प्रतीक हे।
अंतरा 2:
माता काली मंतर के साधना करथे – ॐ फट स्वाहा जइसन बीज मंत्र ल दोहराके ओ मरे मुरदा म जान भरथे। इहा बताइस जावत हे के माता काली के तंत्र सिधि ले असंभव ला संभव बनाय सकय।
अंतरा 3:
जब साधना सिद्ध हो जथे, त मुरदा उठके खुदे सवारी बन जथे। एहा अघोर साधना के चरम सिद्धि ल दिखाथे – कल-कल करे वाला, चिखाड़ा म नाचत मुरदा, जऊन म माता के शक्ति समाहित होथे।
अंतरा 4:
संदेश एहे हे – मरे मुरदा म घलो शक्ति हे, जेकर गहिरा रहस्य काली माता जानथें। दस महाविद्या म एक सुंदर नाम – काली। ओ तंत्र विद्या के महामाई हावय।
कहानी – मरघहीन काली के जागर
छत्तीसगढ़ के एक गांव म, जिहां रात के सन्नाटा मनखे ल डरा देवय, ओखर एक कोना म हे एक पुराना मरघट। मसान म बसे ये ठांव म सैकड़ों बरस ले कोनो नइ जाथे। फेर एक रात, एक तांत्रिक साधक आवत हे – चोला म राख, गहिरा नयन, ओखर जुबान लफ लफ करत निकरथे, अउ वो झन जावत हे ओइच ठांव – मरघट।
ओ साधक के ध्यान हे – मसान की अधिष्ठात्री देवी, माता काली म।
साधक बोलथे –
"हे मरघहीन काली, मरे मुरदा म जान डारे वाली देवी, मोर साधना पूरा कर!"
ओ जाके मरघट म आसन जमाथे। चारों कोती सन्नाटा, ओकरे बीच घनघोर मंतर गूंजथे –
"ॐ क्रीं कालिकायै नमः, फट स्वाहा!"
अचानक, चूंदी मुड़ी छरक जथे, बेरा म हवा जोर ले बगथे, बगैर वस्त्र वाली, ललाट म रक्त तिलक लगाये काली माता प्रकट हो जथें। ओकरे लफलफ करत जिभिया, झनकार करत बाली, अउ खुल्ला बाल, पूरा मसान म भय अउ शक्ति के वातावरण बना देथे।
माता धीरे-धीरे झूमत आगू आवत कहिथे –
"कोन बुलाइस हे मोला? तोर साधना सच्चा हे? तो अपन प्राण दे के मुरदा ला जियाव।"
साधक, बिना डरे, अपन अंगूठा काट के मुरदा ऊपर छिड़क देथे। मंतर फेर जपथे –
"ॐ कालि क्रीं फट!"
अचानक, ओ मुरदा ह कांपे लगथे, ओकरे मुंह ले आवाज निकले –
"जय महाकाली!"
मुरदा अब सजीव हो जथे। माता ह झूम के नाचे लगथे – ओ एक अघोर सवारी म बदल जथे। गांव म माई के जयकार गूंजथे।
🌕 माता काली के रहस्य:
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मरघट म आसन जमाय के अर्थ:
तांत्रिक साधना के मूल आधार – शून्यता म शक्ति के अनुभव। -
बीन वस्त्र स्वरूप:
माया ले परे – असल स्वरूप के प्रतीक। -
मंतर साधना (ॐ फट स्वाहा):
तांत्रिक साधना म सबसे शक्तिशाली बीज मंत्र। -
मुरदा सवारी के रहस्य:
जीवन म मृत्यू के बाद घलो शक्ति हावय – जेकर अनुभव केवल सिद्ध साधक कर सकय। -
दस महाविद्या म काली के स्थान:
माता काली तंत्र विद्या के सिरमौर हावय – जेहर जीवन अउ मृत्यु दूनों के पार हावय।
🪔 निष्कर्ष:
"मरघहीन काली ओ मरे मुरदा ला तै जियाऐ" गीत केवल डरावना नइ हे – ए एक घोर तांत्रिक साधना के गाथा हे, जिहां माता काली के महानता, शक्ति अउ दिव्यता के दर्शन होथे। छत्तीसगढ़ के लोककथा, तंत्र विद्या अउ भक्ति म मिले ये अनुपम समागम ल हमन नई बिसार सकन।
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