मरघहीन काली ओ | छत्तीसगढ़ी तांत्रिक भक्ति गीत |



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जस लिरिक्स -  रघहीन काली ओ 

गायक -डेविड निराला

संगीत -  सूरज महानंद 

वेबसाइट ऑनर -के के पंचारे 

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ही काली 

 ही काली  रे मुदा ला तै जिया

माता काली कोनो ओ- 

उड़ान -" यहो बीन वस्तर के रही के माता "२
 
लफ लफ जिभिया लमाये

माता काली नई कोना जाने ओ

अंतरा 1

१. मरघट के सुनसान मे जा के
 
    आसन अपन जमाये ओ

आसन अपन जमाये

२. मंतर जपत तै झूपन लागे 

चून्दी मुड़ी छरियाऐ ओ

चून्दी मुड़ी छरियाऐ 

तोर कान के बाली ओ

उड़ान -" हाले जब मुड़ ला तै हलाये "

माता काली नई कोना जाने ओ 

मरघहीन काली ओ मरे मुरदा ला तै जियाऐ

माता काली नई कोनो ओ-2  


अंतरा 2 

१. मरघट मे बईठे काली हा
 
मंतर अपन सिधाये ओ

मंतर अपन सिधाये

२. ॐ ………………फट स्वाहा 

घेरी बेरी दोहराये ओ

घेरी बेरी दोहराये

उड़ान -" नई जावै खाली ओ "

मंतर म मुरदा तै जियाऐ 

माता काली नई कोनो जाने ओ 

मरघहीन काली ओ मरे मुरदा ला तै जियाऐ

माता काली नई कोनो ओ-2

अंतरा 3 

१ - साधन पूरा होगे जब तोर

मुरदा सवारी लगाये ओ

मुरदा सवारी लगाये

२ - मुरदा सवारी कस के किंजरे
 
कल कल तै कलकलाये ओ

कल कल तै कलाये

उड़ान -" तै चिखाड़ा वाली ओ"

अंग हा तोर निच्चट करियाऐ 

माता काली नई कोनो जाने ओ

मरघहीन काली ओ मरे मुरदा ला तै जियाऐ

माता काली नई कोनो ओ-2


अंतरा 4 

१ - दुनिया मुरदा मे शक्ति हावै
 
ऐही भाव ला देखाऐ ओ

ऐही भाव ला देखाऐ

२ - दस विद्या में नाव हे सुंदर 

तंत्र विद्या में लिखाऐ ओ

तंत्र विद्या में लिखाऐ

उड़ान -" देदे के ताली ओ "

गुण ला निराला तोरे गाये 

माता काली नई कोना जाने ओ

मरघहीन काली ओ मरे मुरदा ला तै जियाऐ

माता काली नई कोनो ओ-2

उड़ान -" यहो बीन वस्तर के रही के माता

बीन वस्तर के रही के माता "

लफ लफ जिभिया लमाये

माता काली नई कोना जाने ओ

मरघहीन काली ओ 

मरे मुरदा ला तै जियाऐ

माता काली नई कोनो ओ

गीत भावार्थ (अर्थ) – छत्तीसगढ़ी में:

मुखड़ा:


"मरघहीन काली" माने मसान (श्मशान) में रहने वाली काली माता, जऊन मरे ला जियाय सकय। ये गाथा बताथे के काली माता साधारण देवी नइ हावय, उ त मरे मुरदा म जान फूंक सकय।

अंतरा 1:


काली माता मरघट (श्मशान) के सुनसान म तपस्या करथे। झूंप के, खुल्ला बाल, बगैर वस्त्र, छरियाय चूंदी, कान म बाली – ये सब ओखर तांत्रिक स्वरूप ल दिखाथे। माता के रूप डरावना जरूर दिखथे, फेर ओ शक्ति के प्रतीक हे।

अंतरा 2:


माता काली मंतर के साधना करथे – ॐ फट स्वाहा जइसन बीज मंत्र ल दोहराके ओ मरे मुरदा म जान भरथे। इहा बताइस जावत हे के माता काली के तंत्र सिधि ले असंभव ला संभव बनाय सकय।

अंतरा 3:


जब साधना सिद्ध हो जथे, त मुरदा उठके खुदे सवारी बन जथे। एहा अघोर साधना के चरम सिद्धि ल दिखाथे – कल-कल करे वाला, चिखाड़ा म नाचत मुरदा, जऊन म माता के शक्ति समाहित होथे।

अंतरा 4:


संदेश एहे हे – मरे मुरदा म घलो शक्ति हे, जेकर गहिरा रहस्य काली माता जानथें। दस महाविद्या म एक सुंदर नाम – काली। ओ तंत्र विद्या के महामाई हावय।

कहानी – मरघहीन काली के जागर

छत्तीसगढ़ के एक गांव म, जिहां रात के सन्नाटा मनखे ल डरा देवय, ओखर एक कोना म हे एक पुराना मरघट। मसान म बसे ये ठांव म सैकड़ों बरस ले कोनो नइ जाथे। फेर एक रात, एक तांत्रिक साधक आवत हे – चोला म राख, गहिरा नयन, ओखर जुबान लफ लफ करत निकरथे, अउ वो झन जावत हे ओइच ठांव – मरघट।

ओ साधक के ध्यान हे – मसान की अधिष्ठात्री देवी, माता काली म।

साधक बोलथे –
"हे मरघहीन काली, मरे मुरदा म जान डारे वाली देवी, मोर साधना पूरा कर!"

ओ जाके मरघट म आसन जमाथे। चारों कोती सन्नाटा, ओकरे बीच घनघोर मंतर गूंजथे –
"ॐ क्रीं कालिकायै नमः, फट स्वाहा!"

अचानक, चूंदी मुड़ी छरक जथे, बेरा म हवा जोर ले बगथे, बगैर वस्त्र वाली, ललाट म रक्त तिलक लगाये काली माता प्रकट हो जथें। ओकरे लफलफ करत जिभिया, झनकार करत बाली, अउ खुल्ला बाल, पूरा मसान म भय अउ शक्ति के वातावरण बना देथे।

माता धीरे-धीरे झूमत आगू आवत कहिथे –
"कोन बुलाइस हे मोला? तोर साधना सच्चा हे? तो अपन प्राण दे के मुरदा ला जियाव।"

साधक, बिना डरे, अपन अंगूठा काट के मुरदा ऊपर छिड़क देथे। मंतर फेर जपथे –
"ॐ कालि क्रीं फट!"

अचानक, ओ मुरदा ह कांपे लगथे, ओकरे मुंह ले आवाज निकले –
"जय महाकाली!"

मुरदा अब सजीव हो जथे। माता ह झूम के नाचे लगथे – ओ एक अघोर सवारी म बदल जथे। गांव म माई के जयकार गूंजथे।

🌕 माता काली के रहस्य:

  1. मरघट म आसन जमाय के अर्थ:
    तांत्रिक साधना के मूल आधार – शून्यता म शक्ति के अनुभव।

  2. बीन वस्त्र स्वरूप:
    माया ले परे – असल स्वरूप के प्रतीक।

  3. मंतर साधना (ॐ फट स्वाहा):
    तांत्रिक साधना म सबसे शक्तिशाली बीज मंत्र।

  4. मुरदा सवारी के रहस्य:
    जीवन म मृत्यू के बाद घलो शक्ति हावय – जेकर अनुभव केवल सिद्ध साधक कर सकय।

  5. दस महाविद्या म काली के स्थान:
    माता काली तंत्र विद्या के सिरमौर हावय – जेहर जीवन अउ मृत्यु दूनों के पार हावय।

🪔 निष्कर्ष:

"मरघहीन काली ओ मरे मुरदा ला तै जियाऐ" गीत केवल डरावना नइ हे – ए एक घोर तांत्रिक साधना के गाथा हे, जिहां माता काली के महानता, शक्ति अउ दिव्यता के दर्शन होथे। छत्तीसगढ़ के लोककथा, तंत्र विद्या अउ भक्ति म मिले ये अनुपम समागम ल हमन नई बिसार सकन।

"जय महाकाली!"

माँ बम्लेश्वरी 


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