✔ गीत - माटी के दाई दुर्गा ✔ स्वर - मनहरण साहू ✔गीतकार - परमानन्द कठोलिया ,CGJASLYRICS,
ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।
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✔ गीत - माटी के दाई दुर्गा
✔ स्वर - मनहरण साहू
✔गीतकार - परमानन्द कठोलिया
माटी के दाई दुर्गा गढ़ गढ़ तोला बनाव -२
उड़ान -" कुँवार महीना अँजोरी पखिर "-२
दिन एकम के मडाव
माटी के दाई दुर्गा गढ़ गढ़ तोला बनाव -२
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अंतरा -1
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नवदुर्गा मयहित मर्दानी दया मया के सागर हे -२
अस्ट भुजी मोर तीके रूप म चरनन महिसा सुर हे
उड़ान -" जगदम्बा के माने करे बर "-२
माटी के दुर्गा मडाव
माटी के दाई दुर्गा गढ़ गढ़ तोला बनाव -२
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अंतरा -2
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लाल बरन लाली रंग लुगरा लाली सिंगार पहिरायेव -२
पुत्री अस समराके दाई अखंड जोत जलायेव
उड़ान -" लहर लहर लहराये जंवारा "-२
नेवता नेवतईया ल बलाव
माटी के दाई दुर्गा गढ़ गढ़ तोला बनाव -२
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अंतरा -3
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चलत चलागन पुरखा पुरातन अइसने तोला मनायेव -२
नेम धेम जप पूजा पाठ कर नवरतीहा गोहरायेव
मड़ई बैरग समराव
माटी के दाई दुर्गा गढ़ गढ़ तोला बनाव -२
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अंतरा -4
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तोर दया ले तर जाहि चोला मया के रखबे छईहा -२
तोर कोरा में दुलार हे दाई नई माड़े बैरी के पइया
उड़ान -" भैरव लगुरवा रखवार बइठे "-२
जपत हावय तोर नाव
माटी के दाई दुर्गा गढ़ गढ़ तोला बनाव -२
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अंतरा -5
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तीनो तिलक तोर सेवा करे चरनन माथ नवायेव -२
आशा तिसना पूरा करके तोर सरन में आयेव
उड़ान -" छत्तीसगढ़ परमानन्द कठोलिया "-२
जपत हावय तोर नाव
माटी के दाई दुर्गा गढ़ गढ़ तोला बनाव -२
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