ससुरे ले आये लें हां | दुकालू यादव | गौरी माई के भक्ति कथा




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👉गीत -ससुरे ले आये लें हां
👉गायक -दुकालू यादव
👉वेबसाइट ऑनर -के के पंचारे
👉म्यूजिक कंपनी -के के कैसेट्
वेबसाइट -www.cgjaslyrics.com
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ससुरे ले आये लें हां
मुखड़ा 

ससुरे ले आये लें हां

चलें वो दाई गौरी माई हा ससुरार -२

अंतरा -1

बइला ऊपर बइठे हावय, शिव बमबोला -२

फुलवा के सेज बिछे ,लाये हावय डोला -२

येदे लाये हावय डोला हो मैया -२
बिचो बिच झुलय बंदन बार

चलें वो दाई गौरी माई हा ससुरार

अंतरा -2

डोला में गौरी दाई ,कर के सिंगारे -२

बइठे भवानी मोर ,शिव ल निहारे-२
शिव ल निहारे मैया हो मैया -२
चोलिया मन धरे ओलवार

अंतरा -3

देवी अउ देवता मन , फूल बरसाये -२
जय जय कार सरग में छाये -२

सरग में छाये हो मैया -२
भैरव चले धरे तलवार


अंतरा -4

नंदी अउ भृंगि मन ,बने हे बरतिया -२
शोभा अइसे छाये माता ,देखे सबो दुनिया -२
देखे सबो दुनिया हो मैया -२
अंतरा -5

जउन समय गौरी माई ,पहुंचे ससुरारे

चउक पुराके प्रेम ,आरती उतारे
आरती उतारे हो मैया -२

देवी देवता करा थे जयकार

चलें वो दाई गौरी माई हा ससुरार

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🌸 छत्तीसगढ़ी भक्ति कथा: "ससुरे ले आये लें हां" (गौरी माई के ससुरार यात्रा)

छत्तीसगढ़ के एक सुग्घर गांव रहिस – हरिहरपुर। ए गांव म देवी-देवता के भारी आस्था रहिस, अउ हर साल गौरी माई के विवाह अउ विदाई के बड़ उत्सव मनाय जाथे। ए कथा के केंद्र म हे – गौरी माई के ससुरार यात्रा, जऊन ला गायक दुकालू यादव अपन मधुर सुर म जिंदा कर दीहे हं।


🌿 गौरी माई के ससुरार विदाई: एक पवित्र यात्रा

गौरी माई के ससुराल जावत देख गांव के मनखे हर भावुक हो गे रहिन। गीत म गाये गे:

"ससुरे ले आये लें हां, चलें वो दाई गौरी माई हा ससुरार..."

गौरी माई के डोली सजाय गे रहिस, बइला ऊपर शिव बमबोला जी विराजे रहिन, अउ फूलवा के सेज बिछाये गे रहिस। डोली म बइठे गौरी माई के रूप देख के देवता मन घलो निहाल हो गइन।


शिव के संग गौरी माई के मिलन

गीत म जइसने बखान होथे:

"बइला ऊपर बइठे हावय, शिव बमबोला..."

गौरी माई के सिंगार करके जब ओला डोली म बइठाय गे, तब शिव जी खुद ओला निहारत रहिन। प्रेम अउ श्रद्धा ले भरपूर ओ दृश्य म अइसे लागिस – मानो सारा ब्रह्मांड ए जोड़ी ला आशीर्वाद देवत हे।

"डोला में गौरी दाई, कर के सिंगारे
बइठे भवानी मोर, शिव ल निहारे"


🌼 सरग म गूंजे जयकार

जब गौरी माई के डोली सरग यात्रा म निकले, तब स्वर्ग म देवी-देवता फूल बरसावत रहिन:

"देवी अउ देवता मन, फूल बरसाये
जय जय कार सरग में छाये"

भैरव देवता तलवार ले जुलूस के सुरक्षा करत चलिन, अउ नंदी-भृंगि जइसे गण शिवजी के साथ बराती बन गे रहिन।


🌺 गांव-गांव म छा गे उत्सव

हरिहरपुर गांव म एक अलगी रौनक रहिस। जे दिन गौरी माई ससुरार जावत रहिस, ओ दिन गांव के घर-घर दीप, आरती अउ भक्ति गीत गूंजे लगिस। मनखे मन फूल ले रास्ता सजाय, अउ हर घर म गूंजे:

"चउक पुराके प्रेम, आरती उतारे
देवी देवता करा थे जयकार"

गांव के बईठका म "ससुरे ले आये लें हां" गीत बाजत रहिस, अउ छोटे-छोटे बच्चा ले बुढ़वा तक मइया के जयकार लगावत रहिन।


🕊️ गौरी माई: प्रेम, त्याग अउ समर्पण के प्रतीक

ए कथा केवल देवी के विवाह नइ, बलुक वोकर त्याग अउ समर्पण के संदेश घलो देवत हे। शिव के संग जीवन सुरू करत, गौरी माई अपन घर-परिवार, माय-दाड़ी ला छोड़ के चल दीहे रहिन। फेर ओकरे संग संकल्प रहिस – संसार के कल्याण करई के।

ओकर डोली म केवल रूप नइ, बलुक ममता, संयम अउ शक्ति विराजमान रहिस।


🔥 गीत म समाहित भक्ति

"ससुरे ले आये लें हां" गीत केवल एक परंपरा के बखान नइ, बलुक वो म अपन संस्कृति, भक्ति अउ दिव्यता के झलक हे।
गीतकार के के पंचारे अउ म्यूजिक कंपनी के के कैसेट्स के प्रयास ले ए गीत जन-जन म पहुंचीस।

गीत के हर अंतरा म नई ऊर्जा हे:

  • अंतरा 1: शिव के संग यात्रा

  • अंतरा 2: गौरी के सिंगार अउ प्रेमिल नजर

  • अंतरा 3: स्वर्ग के जयकार

  • अंतरा 4: नंदी-भृंगी के उत्साह

  • अंतरा 5: आरती के प्रेमिल स्वागत


📿 कथा के पात्र:

पात्रभूमिका
गौरी माईसृजन, शक्ति अउ प्रेम के रूप
शिव बमबोलासाकार ध्यान, योग अउ करुणा
भैरवसुरक्षा अउ शक्ति के प्रतिक
नंदी-भृंगिसेवा अउ निष्ठा के रूप
गांव के लोगश्रद्धा अउ संस्कृति के वाहक

🌈 भक्ति के माध्यम से शिक्षा

ए कथा सिखाथे के:

  1. नारी शक्ति के सम्मान – गौरी माई के रूप म नारी के त्याग अउ शक्ति के बखान हे।

  2. संस्कार अउ परंपरा – ससुरार विदाई एक परंपरा हे जऊन भक्ति अउ प्रेम म बदल गे

  3. भक्ति के असर – देवी-देवता जब झुमे लगें, तब इंसान घलो आत्मिक रूप म उन्नत होथे।


📝 निष्कर्ष (Conclusion):

"ससुरे ले आये लें हां" केवल गीत नइ, बलुक एक सांस्कृतिक पर्व आय। ए गीत ले श्रद्धा के दीप जरे, संस्कार के सुगंध फेले अउ भक्ति के स्वर गूंजे।
जइसे गौरी माई अपन ससुरार बर विदा होय, वैसेच हर मनखे ला अपन जीवन म त्याग, प्रेम अउ सेवा के संग चलना चाही।










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