गीत -तोर जोत जवारा / लिरिक्स / स्वर - अनुसुइया साहू /ब्लॉगर -कैलाश पंचारे
────୨ৎ────
गीत -तोर जोत जवारा
स्वर - अनुसुइया साहू
म्यूजिक कंपनी- के के कैसेट
वेबसाईट - www.cgjaslyrics.com
वेबसाईट ऑनर- के के पंचारे
────୨ৎ────
🌼🌼 मुखड़ा 🌼🌼
तोर जोत जवारा रिगबिग रिगबिग हां -२
उड़ान -" चईत कुंवारे चईत कुंवारे महीना में माँ
तोर जोत जवारा रिगबिग रिगबिग हां -२
उड़ान -" चईत कुंवारे चईत कुंवारे महीना में माँ
अंतरा-1
कोनो सिंगारे जल भर कलशा लावय शीतल पानी -२
लावय शीतल पानी हो मैया लावय शीतल पानी
कोनो सिंगारे जल भर कलशा लावय शीतल पान
उड़ान -" चईत कुंवारे चईत कुंवारे महीना में माँ
तोर जोत जवारा रिगबिग रिगबिग हां -२
अंतरा-2
ध्वजा लाल तोर कलस सुनहरी, गगन छुअत लहरावे-2
गगन छुअत लहरावे हो मईया गगन छुअत लहरावे-
ध्वजा लाल तोर कलस सुनहरी, गगन छुअत लहरावे
उड़ान -" चईत कुंवारे चईत कुंवारे महीना में माँ
तोर जोत जवारा रिगबिग रिगबिग हां -२
अंतरा-3
चंरण धोवय सागर के लहरा छीन छीन माथ नवावय -२
छीन छीन माथ नवावय हो मईया छीन छीन माथ नवावय
चंरण धोवय सागर के लहरा छीन छीन माथ नवावय
उड़ान -" चईत कुंवारे चईत कुंवारे महीना में माँ
तोर जोत जवारा रिगबिग रिगबिग हां -२
अंतरा-4
घनर घनर यती बाजय घंटा ,झनके झांझ मजीरा -२
झनके झांझ मजीरा हो मईया -२
घनर घनर यती बाजय घंटा ,झनके झांझ मजीरा
उड़ान -" चईत कुंवारे चईत कुंवारे महीना में माँ
अंतरा-5
मांदर भीड़गे छम्मक घुँघरू ,गुजय तोर निहोरा -२
गुजय तोर निहोरा हो मईया -२
मांदर भीड़गे छम्मक घुँघरू ,गुजय तोर निहोरा
उड़ान -" चईत कुंवारे चईत कुंवारे महीना में माँ
अंतरा-6
कोरी कोरो बिरवा लीमुआ के जागे ,हरियर केंवची पाना -२
हरियर केंवची पाना हो मईया-२
कोरी कोरो बिरवा लीमुआ के जागे ,हरियर केंवची पाना
उड़ान -" चईत कुंवारे चईत कुंवारे महीना में माँ
────୨ৎ───
म्यूजिक कंपनी क्रेडिट – के के कैसेट
"तोर जोत जवारा" गीत के प्रकाशन के के कैसेट के बैनर तले होय हे। छत्तीसगढ़ी लोकगीत, भक्ति गीत अऊ सांस्कृतिक धरोहर के प्रचार-प्रसार मा के के कैसेट के योगदान बहुच प्रसिद्ध हे।
गीत के बोल का भावार्थ (छत्तीसगढ़ी में अर्थ)
"तोर जोत जवारा" मा भक्ति भाव ले मया के आराधना के बखान करे गेहे।
चैत्र महीना के पवित्र समय मा, गाँव-गाँव मा देवी के जोत (प्रज्वलित दीप) अऊ जवारा सजाके रखे जाथे।
मुखड़ा: माँ के जोत अऊ जवारा चमक-चमक करत हवय, जऊन मया अऊ भक्ति के प्रतीक हे।
अंतरा 1: कोनो भक्त शीतल पानी भर के कलश लाथे, जऊन मा देवी के आस्था झलकथे।
अंतरा 2: लाल पताखा अऊ सुनहरा कलश आसमान तक लहराथे, जऊन विजय अऊ शक्ति के प्रतीक हे।
अंतरा 3: समुद्र के लहर माँ के चरण धोथे, भक्त माथ नवाथे अऊ आशीर्वाद लेथे।
अंतरा 4: घंटा, झांझ, मजीरा के घनघनाहट मा पूरा माहौल भक्ति मय हो जाथे।
अंतरा 5: मांदर के ताल अऊ घुँघरू के छमक-छमक मा मया के स्वागत होथे।
अंतरा 6: नीम अऊ हरियर पाना मा प्रकृति के ताजगी अऊ
पवित्रता के बखान करे गेहे
🎤 गायक परिचय – अनुसुइया साहू
अनुसुइया साहू छत्तीसगढ़ी भक्ति गीत के प्रसिद्ध स्वर कलाकार हें, जऊन अपन मीठा अऊ भावपूर्ण आवाज ले लाखों श्रोताओं के मन मा जगह बनाइस हे। देवी गीत, जसगीत, अऊ लोकधुन गायकी मा इन्हीं के खास पहचान हवय। भक्ति अऊ लोकसंस्कृति के संगम ले भरपूर इनकर गायकी, छत्तीसगढ़ के हर त्योहार अऊ पर्व मा सुनय जाथे।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें