तुही ला सुमिरव हो | दुकालू यादव | छत्तीसगढ़ी जसगीत कथा | माता भक्ति गीत के कहानी
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गीत -तुही ला सुमिरव हो
गायक -दुकालू यादव
गीत -पारंपरिक जस गीत
संगीत -मधुसूदन भारती
वेबसाइट ऑनर -के के पंचारे
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तुही ला सुमिरव हो
तुही ला सुनिरव हो ये जगत के वो जननी
तुही ला सुनिरव हो
अंतरा -1
यहो धरती ला सुमिरव अगास ला सुमिरव सुमिराव मैं पाताले -2
यहो सुमिराव मैं पाताले हो मईया -2
धरती ला सुमिरव अगास ला सुमिरव सुमिराव मैं पाताले
उड़ान -" यहो तीनो लोक के देवता ला सुमिरव "
तुही ला सुनिरव हो ये जगत के वो जननी
ये जगत के वो जननी तुही ला सुनिरव हो-2
अंतरा -2
जब ब्रम्हा ला सुमिरव विष्णु ला सुमिरव शंकर भोले -2
जब सुमिरव शंकर भोले हो मईया सुमिरव शंकर भोले
जब ब्रम्हा ला सुमिरव विष्णु ला सुमिरव शंकर भोले
उड़ान -" जब आदि शक्ति जगदम्बा ला सुमिरव"
तुही ला सुनिरव हो ये जगत के वो जननी-2
ये जगत के वो जननी तुही ला सुनिरव हो -2
अंतरा -3
राम ल सुमिरव लक्मण सुमिरव सुमिरव भरत शत्रुघन भाई -2
भरत शत्रुघन भाई हो मईया-2
राम ल सुमिरव लक्मण सुमिरव भरत शत्रुघन भाई
उड़ान -" हनुमान बजरंगी ला सुमिरव "
तुही ला सुनिरव हो ये जगत के वो जननी -2
ये जगत के वो जननी तुही ला सुनिरव हो-2
अंतरा -4
माता पिता गुरुजन ला सुमिरव करहु हमर सहाई -२
उड़ान -" यहो बालक बरवा कछु नई जाने "
तुही ला सुनिरव हो ये जगत के वो जननी -2
ये जगत के वो जननी तुही ला सुनिरव हो-2
छत्तीसगढ़ी कथा: "तुही ला सुमिरव हो – जननी के महिमा"
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गीत विवरण
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🎤 गीत: तुही ला सुमिरव हो
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🎙️ गायक: दुकालू यादव
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✍️ गीत प्रकार: पारंपरिक जसगीत
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🎼 संगीत: मधुसूदन भारती
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🌐 वेबसाइट: www.cgjaslyrics.com
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👤 वेबसाइट ऑनर: के के पंचारे
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✨ प्रस्तावना
छत्तीसगढ़ म जस गीत मन खाली भजन नइय, बल्कि ओ मन भक्ति, परंपरा, आस्था अउ जीवन दर्शन के घलो एक मजबूत धरोहर आय। “तुही ला सुमिरव हो” एक एैसन पारंपरिक जस गीत आय, जेमा माता के हर रूप के स्तुति होथे – धरती, अगास, ब्रह्मा, विष्णु, शंकर, राम अउ गुरुजन ले लेके लोकमाता तक।
ए गीत म बताय गे हे के “सुमिरन” (स्मरण) मच सर्वोच्च शक्ति के पहचान हे। सुमिरन ले मन के अंधकार दूर होथे, जीवन म उजियारी आथे।
🌾 कथा के आरंभ
कथा सुरु होथे “सोनपुरी” नाम के एक छोटे गांव ले, जिहां के रहइया हर साल जस गीत के आयोजन करथें। ओ गांव म एक गरीब परिवार रहय – बुड़हा गनेस अउ ओकर पोता “शिवकुमार”। गनेस सदा अपन पोता ला धार्मिक संस्कार सिखाथे।
गनेस कहिथे –
"बाबू, जे भगवान ला सुमिरथे, ओकरा दुनिया के डर नइ होवय। तैं सदा 'जननी' ला सुमिर, जेन संपूर्ण सृष्टि के जनक आय।"
🙏 गीत म समाहित भक्ति भाव
गीत के हर अंतरा म एक गहरा संदेश हे:
🔸 पहला अंतरा:
"धरती ला सुमिरव, अगास ला सुमिरव, सुमिरव मैं पाताले…"
ई संकेत देवतत्व के त्रिलोक – भू (धरती), भुव (आकाश), अउ स्वः (पाताल) के स्तुति ला करत हे।
गनेस अपन पोता ला कहिथे –
"बेटा, धरती म माता के रूप म सेवा कर, अगास म तारनहार देख, अउ पाताल म माया के रूप समझ।"
🔱 भक्ति पर विश्वास – कथा के मोड़
एक दिन गांव म अकाल पर गीस। फसल बरबाद होगे, मवेशी मर गे, अउ पानी के कमी होगे। गांव के लोग निराश होगे।
गनेस अपन पोता ला लेके जसगीत के आयोजन करई ठानीस। ओ कहिथे –
"जब संकट गहराथे, त जननी के सुमिरन म सबसे बड़ भरोसा होथे।"
🪔 जसगीत सुरु होइस:
शिवकुमार पहली बार माइक म गीत गाइस –
"तुही ला सुमिरव हो ये जगत के वो जननी…"
गांव वाले अपन अपन झोली ले दीप, नारियल, अउ फूल लाय के माता के भक्ति म समर्पित करिन।
🌼 अंतरा – देवतत्व के स्मरण
गीत कहिथे –
"ब्रह्मा ला सुमिरव, विष्णु ला सुमिरव, शंकर भोले…"
"हनुमान बजरंगी ला सुमिरव…"
ई सब देव मन, एक-एक करके सुमिरन करे जाथें। ए सुमिरन म शक्ति के अनेक रूप समाहित हे –
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ब्रह्मा – सृष्टिकर्ता
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विष्णु – पालक
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शंकर – संहारक
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हनुमान – रक्षा अउ बल
गनेस समझाथे –
"बेटा, जब हम ब्रह्मा-विष्णु-शिव के स्मरण करथन, त हम सृष्टि के तीनो कार्य – जन्म, पालन अउ मोक्ष – ला समझथन।"
👪 गुरुजन अउ माता-पिता के स्तुति
गीत के एक अंतरा कहिथे:
"माता-पिता गुरुजन ला सुमिरव करहु हमर सहाई"
गांव के नवयुवक मन ए बात ला मन म बसा लीन। ओमन अपन बुढ़वा दाई-बाबू ला सम्मान देहे लगिन, गुरुजन के आशीर्वाद म जीवन के राह खोजे लगिन।
गनेस मुस्काय – "अब गांव के भाग जगे हे।"
🔥 भक्ति के परिक्षा
नवरात्र के आखिरी दिन, शिवकुमार भजन गा रहल रहिस –
"यहो तीनो लोक के देवता ला सुमिरव…"
तभी, ओ मंच म बेहोश होगे। लोगन ला डर लागिस। डाक्टर बुलाय गे। लेकिन गनेस कहिस –
"ए दाई के परीक्षा आय। सुमिरन करहू – वो जाग जाही।"
गांव म सब लोग एक संग सुमिरन करे लगिन –
"तुही ला सुमिरव हो..."
कुछ मिनट बाद शिवकुमार उठ के बैठ गे। सबके आंखी म खुशी के आंसू भर गे।
🌺 कथा के संदेश
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भक्ति केवल पूजा नइ, वो जीवन के अनुशासन आय।
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जननी – माता – धरती – गुरु – सब एक समान पूजनीय हं।
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सुमिरन के शक्ति ले असंभव घलो संभव बन जाथे।
🔚 उपसंहार: गांव म उजियार
नवरात्रि के बाद गांव म नवा ऊर्जा भर गे। खेत हरियर होगे, मन म भक्ति आ गे। जसगीत “तुही ला सुमिरव हो” हर घर म गूंजे लगिस।
गनेस के मोराल अपन पोता ला समर्पित करके कहिथे –
"अब तोर बारी हे बेटा – ए भक्ति के परंपरा ला आगे बढ़ा।"
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