मोर आँखि के पुतरी/धर्मेंद्र सुफल भगत

 

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गीत -मोर आँखि के पुतरी दाई 

गायक -स्व-धर्मेंद्र सुफल भगत 

गीतकार -परमानन्द पुरबिया 

म्यूजिक कंपनी-SG Music 

वेबसाइट -WWW.CGJASLYRICS.COM 

वेबसाइट ऑनर -के के पंचारे 

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मुखड़ा 

मोर आँखि के पुतरी दाई पुतरी ओ 

देखे बर तरसत हे तोला 

 मोर आँखि के पुतरी दाई पुतरी ओ 

देखे बर तरसत हे तोला 

उड़ान -बिहनिया मझनिया संझा ---आ आ

बिहनिया मझनिया संझा ये आदी हे मोला 

देखे बर तरसत हे तोला 

 मोर आँखि के पुतरी दाई पुतरी ओ 

देखे बर तरसत हे तोला 

अंतरा -1 

यहो चतुर चार लख चारा कोरी चारा चरवाये 

पखरा म पखरा ले दाई पानी ओगराये 

यहो चतुर चार लख चारा कोरी चारा चरवाये 

पखरा म पखरा ले दाई पानी ओगराये 

उड़ान -सात सखी सात बहनिया----हो ओ हो 

सात सखी सात बहनिया भाई लगुरे भोला 

देखे बर तरसत हे तोला

मोर आँखि के पुतरी दाई पुतरी ओ 

देखे बर तरसत हे तोला  

अंतरा -2  

यहो कनका कनका तोर बसेरा जावव कते मोहाटी 

ये काया के काये भरोसा बिन धारण के पाटी 

यहो कनका कनका तोर बसेरा जावव कते मोहाटी 

ये काया के काये भरोसा बिन धारण के पाटी 

उड़ान -यहो डीही के बाजे डमरू डोली --ई ई 

डीही के बाजे डमरू डोली झन बने भोला 

देखे बर तरसत हे तोला 

मोर आँखि के पुतरी दाई पुतरी ओ 

देखे बर तरसत हे तोला 

अंतरा -3 

यहो तीन लोक दस चार भुवन मा जब जब आँखि मुदव 

झूलत रहिथे तोरे चेहरा छतरंग छईया खुदव 

यहो तीन लोक दस चार भुवन मा जब जब आँखि मुदव 

झूलत रहिथे तोरे चेहरा छतरंग छईया खुदव 

उड़ान -यहो पर बिन बरतिया घरतीया--आ आ  

पर बिन बरतिया घरतीया पाये लागे मोला  

देखे बर तरसत हे तोला

मोर आँखि के पुतरी दाई पुतरी ओ 

देखे बर तरसत हे तोला  

अंतरा -4  

यहो पांच तत्व के कुरिया कईचा पाचे हावे गवाही 

पाचे हितवा मितवा बैरी पाचे येला पाचाही 

यहो पांच तत्व के कुरिया कईचा पाचे हावे गवाही 

पाचे हितवा मितवा बैरी पाचे येला पाचाही 

उड़ान -यहो मरगे कतरगे तइहा --आ आ  

मरगे कतरगे तइहा मारु अउ ढोला 

देखे बर तरसत हे तोला 

मोर आँखि के पुतरी दाई पुतरी ओ 

देखे बर तरसत हे तोला 

अंतरा -5  

यहो भाग भाग म पाग हे कहिथे पचहर पाया पागी 

जोरव जोरा तोर अगोरा फुटइया के फूटे आँखि  

यहो भाग भाग म पाग हे कहिथे पचहर पाया पागी 

जोरव जोरा तोर अगोरा फुटइया के फूटे आँखि  

उड़ान -यहो परमानन्द पुरबिया पियासा  --आ आ  

परमानन्द पुरबिया पियासा चूरत रहिथे चोला 

देखे बर तरसत हे तोला 

मोर आँखि के पुतरी दाई पुतरी ओ 

देखे बर तरसत हे तोला 

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विशेष धन्यवाद: इस गीत के सभी मूल रचनाकारों और म्यूजिक कंपनी SG Music  को, जिन्होंने यह सुंदर भजन प्रस्तुत किया।


नोट: यह लिरिक्स केवल शैक्षिक और मनोरंजन के उद्देश्य से प्रस्तुत किया गया है। सभी अधिकार संबंधित कलाकार और म्यूजिक कंपनी के पास सुरक्षित हैं।


गायक परिचय – स्व. धर्मेंद्र सुफल भगत

स्व. धर्मेंद्र सुफल भगत छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध जस गायक रहे, जिनके गीतों में भक्ति, भाव और लोक संस्कृति की गहरी छाप दिखाई देती है। उनकी आवाज में अपनापन और मधुरता थी, जो हर श्रोता के मन को छू जाती थी। उन्होंने अपने जीवन में अनेक जस गीत गाकर माता के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त की और छत्तीसगढ़ की भक्ति संस्कृति को नई ऊंचाई दी।


✍ गीतकार परिचय – परमानन्द पुरबिया

परमानन्द पुरबिया छत्तीसगढ़ी भक्ति गीतों के लोकप्रिय रचनाकार हैं। उनकी रचनाएँ गहरे अर्थ और भाव से भरी होती हैं, जो सीधे भक्त के हृदय को छू लेती हैं। "मोर आँखि के पुतरी दाई" जैसे गीत उनकी रचनात्मक प्रतिभा का सुंदर उदाहरण हे


🌸 भावार्थ (छत्तीसगढ़ी में)

इस गीत में गायक अपन दाई ला अपनी आँखि के पुतरी कहिके संबोधित करत हे। वो दिन-रात दाई के दर्शन बर तरसत हे। गीत मं दाई के महिमा, माता-पिता के सेवा, भाई-बहिनी के अपनापन अउ धरती-आकाश के गवाही के संग श्रद्धा व्यक्त करे गे हे।

"मोर आँखि के पुतरी" ये सिरिफ एक उपनाम नई, ये ममता, प्रेम अउ भक्ति के गहिर भाव के प्रतीक हे। गायक अपन जीवन के हर पल, हर सांस मं माता के स्मरण करथे अउ येही अपन सबसे बड़े सुख मानथे।



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